June 25, 2025

17 मई से महाराष्ट्र मंडल में शुरू हो रहा तीन दिवसीय महोत्सव

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*रंग संस्कार’ में छाने को तैयार महाराष्ट्र नाट्य मंडल के नाटक*
*उदघाटन सत्र  में ही सात लघु मराठी नाटिकाओं का होगा मंचन*
रायपुर। संस्कार भारती 17 मई से तीन दिवसीय रंग संस्कार महोत्सव का भव्य आयोजन करने जा रहा है। चौबे कॉलोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल में आयोजित महोत्सव में हिंदी, छत्तीसगढ़ी और मराठी नाटकों का मंचन शाम को 6:30 से होगा। पहले ही दिन उद्घाटन सत्र में महाराष्ट्र नाट्य मंडल की सात लघु मराठी नाटिकाओं का इंद्र धनु (इंद्रधनुष) दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहेगा।

*’रक्तदान’ में आत्मसंतुष्टि के साथ संदेश भी*

मराठी नाटकों के ‘इंद्र धनु’ के संदर्भ में महाराष्ट्र नाट्य मंडल के सचिव व सभी नाटकों के निर्देशक प्रसन्न निमोणकर ने बताया कि इंद्र धनु का पहला रंग ‘रक्तदान’ होगा। योगेश सोमण लिखित ‘रक्तदान’ एक ऐसी महिला कर्मचारी की कहानी है, जिसने कभी किसी को रक्तदान तो क्या, कभी कोई दान अथवा सहयोग नहीं किया। उसे विवशत: रक्तदान करना पड़ रहा है। लघु नाटिका में रक्तदान के उपरांत उसकी मनःस्थिति में हुए बदलाव का भावनात्मक चित्रण है। इसमें रक्तदाता की एकल भूमिका को गौरी क्षीरसागर जीवंत करते दिखेंगी।
*’विसंवाद’ में दिशा सूचक संदेश*

निमोणकर के मुताबिक इंद्र धनु के दूसरे रंग के रूप में योगेश सोमण लिखित ‘विसंवाद’ में एक प्रौढ़ दंपती किसी रेस्टोरेंट में बैठा है। क्या ऑर्डर करना है, मात्र इसी बात पर दोनों में नोकझोंक हो जाती है। अंततः शाम का समय इसी बहस में बीता देते हैं। इनके बच्चे विदेश में हैं और एकाकीपन से बचने के लिए संवाद सबसे अच्छा रास्ता है। फिर भले ही वह विसंवाद (बहस) ही क्यों न हो। लेफ्ट ओवर पैरेंट्स के लिए इस नाटिका में एक दिशा सूचक संदेश है। दंपती की भूमिकाओं में प्रिया बक्षी के साथ प्रसन्न निमोणकर दिखेंगे।
*’कलावंत में पिता- पुत्र का अंर्तद्वंद्व*

 

इंद्र धनु का तीसरा रंग कलावंत (नाटकवाला) के रूप में दिखेगा। लेखक योगेश सोमण ने व्यावसायिक रंगकर्म से जुड़े एक युवा व उसके पिता के मध्य के वैचारिक द्वंद का चित्रण किया है। युवा नाटक को ही अपना जीवन मानता है और पिता की अपेक्षायें इसके विपरीत है। वे चाहते हैं कि पुत्र अपनी आजीविका का कोई स्थाई निदान खोजे। जुनूनी युवा की भूमिका पवन ओगले और काका के रोल में प्रेम उपवंशी दिखेंगे।
*मात्र स्पर्श से बनता रिश्ता ‘हरवलेली’*

इंद्र धनु के अगले रंग में ‘हरवलेली (खोई हुई) की नायिका कीर्ति हिशीकर नौकरी से स्वेच्छा सेवानिवृत्ति लेने के बाद अपना जीवन अपनी शर्तों और इच्छाओं पर व्यतीत कर रही है। उसे अक्सर बीच बाजार में घूमते- घूमते नई- नई वस्तुओं का केवल अवलोकन करते हुए विंडो शाॅपिंग करते हुए समय व्यतीत करना अच्छा लगता है। एक दिन ऐसे ही घूमते हुए उसका हाथ थामकर एक नन्हीं बच्ची चलने लगती है। बड़ी देर तक बिना चेहरा देखे ही वह बच्ची नायिका के साथ घूमते रहती है। लेखक मिलिंद सोमण ने इस नाटिका में बताया है कि मात्र स्पर्श से भी परिचय हो सकता है और विश्वास भी।
*चौंकाने वाला संदेश ‘तो पोरगा’ में*

योगेश सोमण लिखित नाटिका ‘तो पोरगा’ इंद्र धनु का पांचवा रंग है। लघु नाटिका का नायक (प्रसन्न निमोणकर) एक लेखक है। एक दिन भटकते हुए वह बगीचे में पहुंचा है। वहां उसे एक लड़का बगीचे में पड़ी हुई वस्तुएं चुपके से उठाकर जेब में भरता हुआ दिखता है। नायक उसे पकड़ने के लिए उसका पीछा करता है। उसके अंतिम कृत्य को देखकर नायक भी चकित रह जाता है। उसे इतना चौंकाने वाला संदेश मिलने की उम्मीद कतई नहीं थी।
*नारी शिक्षा का संदेश देती अंबुताई*

इंद्र धनु का छठवां रंग ‘मुलाखत अंबु ताईची’ (अंबू ताई से मुलाकात) है। जयंत तारे लिखित इस नाटिका में शाला की सफाई कर्मी अंबु ताई का साक्षात्कार लेने के लिए पाठशाला के बच्चे आए हैं। अंबु ताई परिस्थितिवश पढ़ नहीं पाईं हैं, अब वह पाठशाला की साफ- सफाई इस शर्त पर निःशुल्क करने को राजी है कि उसकी दोनों बेटियों गंगी- मंगी को शाला में प्रवेश मिल जाए। जयंती तारे लिखित नाटिका में अंबु ताई के भावनात्मक रोल में प्रिया बक्षी दिखेंगी।
*हंसाता- गुदगुदाता ‘पत्र लिहण्यास कारण की’*
इंद्र धनु के अंतिम रंग में ‘पत्र लिहण्यास कारण की’ देखने को मिलेगा। योगेश सोमण की इस नाटिका में बस स्टॉप पर पति, पत्नी की प्रतीक्षा में खड़ा है। तभी एक ग्रामीण महिला आती है। उसे अपनी माँ को एक पत्र लिखना है। स्वयं की लिखाई अच्छी न होने के कारण वह नायक से पत्र लिखवाती है। पत्र का मजमून हास्य निर्मित करता है। पति की भूमिका में रविंद्र ठेंगड़ी व ग्रामीण महिला की भूमिका अस्मिता कुसरे दिखेंगी।
*नेपत्थ में….*
इंद्र धनु के सूत्रधार परितोष डोनगांवकर होंगे। नेपथ्य में मार्गदर्शक अनिल श्रीराम कालेले हैं। रंगभूषा वंदना निमोणकर, वेशभूषा अपर्णा कालेले, संगीत संयोजन भगीरथ कालेले और निर्मिती डॉ. सौ. अभया जोगलेकर है।