‘मां ने नन्हीं अहिल्या को समझाया- तुम पर एक नहीं दो कुल को संवारने की जिम्मेदारी’
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*नृत्य नाटिका ‘कलांजलि’ में दिखी अहिल्याबाई की शौर्यगाथा*
*इंदौर के कलाकारों का मंचन देखकर मंत्रमुग्ध हुए रंगप्रेमी दर्शक*
रायपुर। विवाह तय होने पर मासूम सी बच्ची ने अपनी मां से कहा- मां मैं नहीं जाऊंगी आपको छोड़कर। मुझे नहीं करनी है शादी। मां ने अपनी नन्हीं सी बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा कि तुझे पता है सृष्टि ने हम पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी दी है। हमें एक नहीं दो कुल को संवारना है। इस जिम्मेदारी से न मैं बच सकी, न तुम्हें बचने की कोशिश करनी चाहिए। वहां भी एक मां है, जो तुमसे स्नेह करेगी। तुम साथ मिलकर उनके कुल को संभालोगी।मासूम सी अहिल्याबाई और उनकी मां के बीच का यह संवाद आधुनिक युग में जितना प्रेरक लगता है, उतना ही प्रासंगिक भी।
बात हो रही है कलांजलि नृत्य नाटिका के एक दृश्य की। इस नृत्य नाटिका का मंचन मुक्ताकाश मंच में महाराष्ट्र मंडल, संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन और कॉस्मिक क्रियेशन सोसाइटी के सहयोग से किया गया। पुण्यश्लोका अहिल्याबाई होल्कर की जीवनगाथा पर आधारित नृत्य नाटिका ‘कलांजलि’ में अहिल्या बाई के संपूर्ण जीवन का नृत्य और संवाद के माध्यम से सुंदर मंचन किया। ओमकार नाद से शुरू हुआ कार्यक्रम भारतमाता की आरती के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान 85 मिनट के इस नृत्य नाटिका ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
‘कलांजलि’ की सूत्रधार और निर्देशक मंजूषा राजस जोहरी ने बताया कि पुरानी परंपरा में कथा- कथन का बड़ा महत्व था। आधुनिक युग में हम कहीं न कहीं मूल तत्व से दूर होते जा रहे है। इसी कारण हमने देवी अहिल्या के शौर्य गाथा को नृत्य नाटिका का माध्यम से प्रस्तुत किया। जिसमें कुल परंपरा मल्हारी मार्तंड का गोंधल नृत्य प्रस्तुत किया गया। अहिल्या बाई ने मां नर्मदा के तट पर विशाल घाट बनाया। ताकि प्रजा को समीप से मां के दर्शन हो सके। महेश्वर का यह नर्मदा तट और मां नर्मदा की स्तुति मान को शांत कर देती है।
इस बीच कलाकारों ने नर्मदाष्टक पर सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया। मंजूषा राजस जोहरी के मुताबिक नृत्य नाटिका में पोवाड़ा की प्रस्तुत भी हुई। पोवाड़ा महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह वीर रस और ऐतिहासिक घटनाओं को याद रखने और जश्न मनाने का एक माध्यम है। पोवाड़ा एक नाटकीय वर्णन है, जिसमें कविता और गद्य अंशों को बारी-बारी से सुनाया जाता है।
सवा घंटे चले इस नृत्य नाटिका ‘कलांजलि’ में अहिल्या बाई के जीवन के हर पहलु को दिखाया गया। इसकी सूत्रधार और निर्देशन मंजूषा राजस जोहरी ने किया। संगीत संयोजन में विदुषी कल्पना झोकरकर के साथ अभय माणके और अमृता माणके की जोड़ी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पूरे कार्यक्रम में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका नृत्य की रही। नृत्य नाटिका में बतौर रंजना ठाकुर और प्रियंक वैद्य की मेहनत मंच पर नजर आई। उनके निर्देशन में मेघा शर्मा जादौन, अनन्या व्यंगंकर, मोनिका देसाई, मनस्वी आप्टे, महक सेठ, हितैषी शरोदे, लविना तिवारी, मुस्कान मुच्छल और डॉ. प्रियंका वैद्य के नृत्य से मंत्रमुग्ध दर्शक देर तर तालियां बजाते रहे।सिन्थसाइज़र में आर्य पुरणकार , ऑक्टोपेड में विक्रम जोशी और तबले में संगत वेद ढोक ने दी। तकनीकी सहायक की भूमिका श्वेता पाठक और स्मिता मुद्रिस ने बखूबी निभाई।