June 25, 2025

झारखंड के दुमका में रोचक लड़ाई, एक ओर पार्टी तो दूसरी ओर बहू…दांव पर गुरुजी की प्रतिष्ठा

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दुमका। मान्यता है कि गोड्डा संसदीय क्षेत्र में शिव का निवास स्थल कहे जाने वाले बाबाधाम देवघर में पूजा-अर्चना तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती, जब तक वासुकीनाथ मंदिर के दर्शन न कर लें। झारखंड की सियासत में बीते चार दशकों से कुछ ऐसी ही स्थिति दुमका संसदीय क्षेत्र की भी है। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की कर्मस्थली दुमका एक अरसे से झारखंड की सियासी धुरी मानी जाती है। उम्रदराज गुरुजी अबकी सियासी रण से बाहर हैं, लेकिन दुमका चर्चाओं में पहले से ज्यादा है। वजह है उनकी बड़ी बहू सीता सोरेन का भाजपा से उनके ही दल के खिलाफ चुनाव लड़ना। सीता अपना हक छीनने को मुद्दा बनाकर झामुमो पर हमला बोल रही हैं। जवाब में छोटी बहू कल्पना सोरेन अपने पति पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल भेजने को लेकर भाजपा को घेर रही हैं। दुमका ही नहीं, कोडरमा-हजारीबाग जैसी झामुमो की बड़ी दखल वाली हर सीट पर यह लड़ाई जारी है। यानी बिना दुमका के दखल के सियासी जंग आज भी कहीं पूरी नहीं हो रही। इन सियासी हालातों में गुरुजी की प्रतिष्ठा दोनों तरह से दांव पर है। एक ओर पार्टी है तो दूसरी ओर घर की बड़ी बहू।
औषधीय पौधों और लंबे बांसों के लिए मशहूर दुमका सोरेन परिवार के लिए ही नहीं, भाजपा के लिए भी सियासी नाक की लड़ाई बन गया है। 2019 में भाजपा के सुनील सोरेन ने दुमका से आठ बार के सांसद रहे शिबू सोरेन को हराकर बरसों पुराना किला ढहा दिया था। इस बार भाजपा ने सीता को प्रत्याशी बनाकर झामुमो (गठबंधन) के लिए सिर चकराने वाली चाल चल दी। सीता की बगावत के खिलाफ झामुमो ने परिवार से प्रत्याशी तो नहीं उतारा, मगर उनकी देवरानी कल्पना सोरेन को प्रचार की कमान सौंप दी है। झारखंड की सियासत के वासुकीनाथ यानी दुमका से छिड़ी देवरानी-जेठानी की जंग अब झारखंड भर में चर्चा का विषय है। वैसे झारखंड में वासुकीनाथ मंदिर की बाबाधाम से दूरी करीब 22 किमी है। आदिवासी बहुल इस इलाके में पहुंचते-पहुंचते संसदीय क्षेत्र गोड्डा से बदलकर दुमका शुरू हो जाता है। खजूर के पेड़ों से भरे जंगलों के बीच हर कुछ किमी पर अधिकतर आदिवासियों के गांव हैं। दो-चार गांवों बाद यानी हर आठ-दस किमी पर मिशनरी के बड़े अस्पताल या स्कूल दिखाई देते हैं, जो दिल्ली-एनसीआर के निजी अस्पताल-स्कूलों से कमतर नजर नहीं आते। बीते कुछ बरसों में मिशनरी के इन भवनों के सामने या आसपास बजरंगबली के मंदिर और भगवा झंडों से पटे भवन भी तेजी से बढ़े हैं। आदिवासियों में इनके प्रति जुड़ाव भी तेजी से बढ़ता दिखाई दे रहा है।
भाजपा का भीतरी-बाहरी का मुद्दा अबकी झामुमो का अस्त्र
भाजपा ने दुमका के स्थानीय प्रत्याशी सुनील सोरेन के हाथ से कमल का निशान लेकर सीता को थमाया है। सीता रामगढ़ (हजारीबाग) के नेमरा की रहने वाली हैं। चर्चा है कि झामुमो नेतृत्व ने दुमका के शिकारीपाड़ा से लगातार सात बार विधायक और स्थानीय प्रत्याशी नलिन सोरेन को मैदान में उतारकर एक तीर से दो निशाने किए हैं। एक तो भीतरी प्रत्याशी वाला दांव और दूसरा बड़ी बहू के खिलाफ परिवार से किसी को न उतारकर खुला विरोध से बचने का रास्ता भी। पिछले तीन चुनावों से भाजपा शिबू सोरेन को परास्त करने के लिए इसी अस्त्र का इस्तेमाल करती रही है और इसी के सहारे शिबू सोरेन को परास्त भी किया था। इस चुनाव में झामुमो भाजपा के खिलाफ बाहरी-भीतरी के पुराने मुद्दे को ही अस्त्र के तौर पर इस्तेमाल कर रही है।