धर्म, संस्कृति, संस्कार का महत्व बताता है शिवाजी का जीवन: कालेले
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*महाराष्ट्र मंडल में आयोजित मासिक महाआरती में शामिल हुए अनेक सभासद*
रायपुर। महाराष्ट्र मंडल में हर माह की 19 तारीख की तरह रविवार को भी छत्रपति शिवाजी महाराज की महाआरती की गई। सैनिक स्कूल नागपुर के 11 वर्षीय उरुज्ञ देशमुख ने आरती की थाल संभालते हुए आश्वस्त किया कि शिवाजी महाराज के प्रति नई पीढ़ी में भी पुरानी पीढ़ियों की तरह ही भरपूर सम्मान है। इस मौके पर महाराष्ट्र नाट्य मंडल के निर्देशक प्रा. अनिल श्रीराम कालेले ने छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में धर्म, संस्कार और संस्कृति का सर्वाधिक महत्व होता है।
कालेले ने कहा कि शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई धार्मिक स्वभाव वाली होते हुए भी गुण- स्वभाव और व्यवहार में वीरंगना नारी थीं। इसी कारण उन्होंने शिवाजी का पालन- पोषण रामायण, महाभारत और अन्य भारतीय वीरात्माओं की कहानियां सुना और शिक्षा देकर किया था। दादा कोणदेव के संरक्षण में शिवाजी सभी तरह की सामयिक युद्ध समेत अनेक विधाओं में भी निपुण हुए। उन्हें धर्म, संस्कृति और राजनीति की शिक्षा दिलवाई गई थीं। परम संत रामदेव के संपर्क में आने से शिवाजी पूर्णतया राष्ट्रप्रेमी, कर्त्तव्यपरायण व कर्मठ योद्धा बन गए।
महाआरती में सचिव चेतन दंडवते, संत ज्ञानेश्वर स्कूल के सह प्रभारी परितोष डोनगांवकर, युवा समिति के प्रभारी विनोद राखुंडे, सचेतक रविंद्र ठेंगड़ी, सचिन्द्र देशमुख, सुचिता देशमुख, अतुल गद्रे सहित अनेक सभासद शामिल हुए।