मूल निवास छोड़ कर रहे थे नाना के घर बाल विवाह, महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त टीम ने रोका

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बेमेतरा। 4 मई को चाइल्ड हेल्पलाईन न. 1098 जिला बाल संरक्षण इकाई महिला एवं बाल विकास विभाग को विकासखण्ड बेमेतरा के ग्राम झालम, तह-बेमेतरा की एक बालक एवं बालिका का बाल विवाह की जानकारी प्राप्त हुई थी। जानकारी के आधार पर श्री चन्द्रबेश सिंह सिसोदिया जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं श्री सी.पी. शर्मा महिला एवं बाल विकास अधिकारी के निर्देशानुसार जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री व्योम श्रीवास्तव एवं खंडसरा परियोजना अधिकारी श्रीमती लीना दीवान के मार्गदर्शन में बाल विवाह के रोकथाम हेतु कार्यवाही की गयी। उक्त ग्राम में मालिया परिवार के एक बालक एवं पारधी परिवार के एक बालिका का बाल विवाह होने जा रहा था। बाल विवाह किये जाने की सूचना पर महिला एवं बाल विकास विभाग जिला बाल संरक्षण इकाई चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 एवं पुलिस विभाग के संयुक्त टीम द्वारा बाल विवाह रोकवाया गया। शिकायत प्राप्त होने पर झालम में गालियां एवं पारधी परिवार में बाल विवाह रोकवाया गया।
उक्त बालक का विवाह गाँव में ही अपने नाना के यहाँ आई बालिका (स्थाई निवासी गंगानगर कवर्धा कबीरधाम) से होने जा रहा था। सूचना के पश्चात टीम द्वारा बालक-बालिका के परिजनों के समक्ष कार्यवाही किया गया। बालक एवं बालिका के परिजनों के द्वारा निर्धारित आयु पूर्ण होने के उपरांत ही विवाह किये जाने हेतु अपनी सहमति प्रदान की गई तथा विवाह स्थगित करने की बात कही गई, युवक के परिजनों के कथन अनुसार हमें यह ज्ञात नहीं था कि वर्तमान में मौजूदा कानून के तहत् 18 वर्ष से कम आयु की बालिका एवं 21 वर्ष से कम आयु के बालक का विवाह गैर कानूनी है।
गठित टीम में पर्यवेक्षक श्रीमती रूची ठाकुर, सा. कार्यकर्ता (सीडब्ल्यूसी प्र. नोडल अधिकारी) श्री कृष्ण कुमार चंद्राकर, परियोजना समन्वयक श्री राजेन्द्र प्रसाद चन्द्रवंशी, आरक्षक श्री शिवकुमार, आउटरिच वर्कर श्रीमती अनिता सोनवानी, आ.बा. कार्यकर्ता श्रीमती दीपिका ध्रुव के द्वारा समझाईस दिये जाने पर वर पक्ष द्वारा उक्त बालक का विवाह वर्तमान में मौजूदा कानून के तहत विवाह किये जाने की शपथ पूर्वक कथन किया गया। संयुक्त टीम द्वारा उन्हे बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 में उल्लेखित प्रावधानों के बारे में बताया गया कि निर्धारित आयु पूर्ण होने के पूर्व विवाह करवाना अपराध है, बाल विवाह कराने वाले सभी सेवा प्रदाताओं पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। जो व्यक्ति ऐसा करता या कराता है या विवाह में सहयोग प्रदान करता है, तो उसे भी 02 वर्ष तक कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रू. तक हो सकता है अथवा दोनो से दण्डित किया जा सकता है।