मां-बेटी को तीन लाख का मुआवजा देने शासन को हाई कोर्ट के निर्देश

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बिलासपुर। पड़ोसी से चार दिवारी निर्माण  विवाद को लेकर थाने शिकायत करने पहुंची सेवानिवृत्त शिक्षिका और उसकी इंजीनियर बेटी को सिविल लाइन पुलिस द्वारा अवैध तरीके से गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने के मामल में छत्तीसगढ उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की युगल पीठ ने राज्य शासन को मां बेटी को तीन लाख का मुआवजा दिये जाने के निर्देश दिये हैं। पीड़ित मां और बेटी  संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर याचिका लगाई थी।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की युगल पीठ ने पुलिस को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन का जिम्मेदार ठहराते हुए
मां को एक लाख रुपए और बेटी को दो लाख रुपए जुर्माना देने के आदेश राज्य सरकार को दिए हैं। 30 दिनों के भीतर राशि का भुगतान करने कहा गया है।

ग्रीन गॉर्डन कॉलोनी के पीछे नंदन विहार, मंगला में रहने वाली सेवानिवृत्त शिक्षिका अंजू लाल और उनकी बेटी दीक्षा लाल ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें बताया था कि उन्होंने अंग्रेजी और सोशोलॉजी में एमए किया है और सेवानिवृत्त शिक्षिका हैं। उनकी बेटी ने बीई सिविल के बाद बीएड किया और वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। उनका आरोप है कि उनके पड़ोसी सड़क की जमीन पर बाउंड्री वॉल बना रहे हैं। इसी बात की शिकायत करने पर सिविल लाइन पुलिस ने 16 सितंबर 2023 को मां-बेटी को ही उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। दोनों को दोपहर करीब 12.30 बजे गिरफ्तार करने के बाद एक कमरे में बंद कर दिया गया।

महिला ने ही पुलिस से किया था विवाद इधर, हाई कोर्ट के नोटिस के जवाब में पुलिस की तरफ से बताया कि पुलिस शिकायत की जांच करने मौके पर पहुंची थी। पता चला कि पड़ोसी सीमांकन रिपोर्ट के आधार पर अपनी जमीन पर वैध तरीके से बाउंड्री वॉल बना रहे थे। मां- बेटी के विवाद करने की पुलिस से शिकायत की गई। शिकायत मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस से मां और बेटी ने विवाद किया। समझाइश के बाद भी रवैया नहीं बदलने पर दोनों को गिरफ्तार कर पुलिस थाने लेकर आई। इसके तत्काल बाद महिला के बेटे को उसके मोबाइल पर सूचना दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि पुलिस ने उन्हें वारंट नहीं दिखाया। पूछने के बाद भी गिरफ्तारी का कारण नहीं बताया गया। कानूनी सहायता लेने का प्रावधान होने के बाद भी पुलिस ने ऐसा नहीं करने दिया। शाम 5.30 बजे मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया। दोनों को एक घंटे इंतजार करने कहा गया। बॉन्ड भरने की इच्छा जताने के बाद भी जेल भेज दिया गया। पुलिस ने थाने में दुव्यर्वहार भी किया और शिक्षिका को थप्पड़ मारे।