72साल में बढ़ा 22 प्रतिशत मतदान

1 min read
Share this

*संजय दुबे*

भारतीय लोकतंत्र में मतदाता को भले ही एक दिन का सुल्तान कहा जाता है लेकिन उसी के बहुमत से देश में सरकार बनी है। 1952से लेकर 1984तक देश का जन मत एक पार्टी पर भरोसा करती आई लेकिन1989से आगे के लोकसभा चुनाव में गठबंधन की सरकारों का फैशन बना जो आज तक बदस्तूर जारी है भले ही भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत 2014और 2019में मिला है लेकिन उनका राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एन डी ए) है और चुनाव में सीट का बटवारा होता है। देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस को राजीव गांधी के असामयिक मृत्यु के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ( यू पी ए) बनाने की मजबूरी आई। 2024के पहले संयुक्त राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (इंडिया) जन्म लिया है जिसका भविष्य 2024का लोकसभा चुनाव तय करेगा।
17लोकसभा चुनाव के सफर में भारत में मतदाताओं की संख्या 17.32करोड़(प्रथम लोकसभा चुनाव) से बढ़कर 2024में 96.80करोड़ पहुंच गई है। देश में दो लोकसभा चुनाव के अंतराल में सबसे बड़ी संख्या में बढ़ोतरी 2009के लोकसभा चुनाव में हुई थी।11.71करोड़ नए मतदाता इस चुनाव में शामिल हुए थे। इसके पहले 1989में मतदाताओं की संख्या में 9.86करोड़ मतदाताओं का इजाफा हुआ था। ये वृद्धि मतदाताओं की उम्र 21वर्ष से घटा कर 18वर्ष किए जाने के कारण हुई थी।1996लोकसभा चुनाव में भी मतदाताओं की संख्या में 9.42करोड़ बढ़ी थी।
मतदान का प्रतिशत 1952के लोकसभा चुनाव में 44.87प्रतिशत रहा। सर्वाधिक मतदान का प्रतिशत 2019के लोकसभा चुनाव में 67.40प्रतिशत पहुंचा था। साठ फीसदी से अधिक मतदान1962,1977,1984, 1989,1998,2014और 2019में ही हुआ। अगर 2019 लोकसभा चुनाव का सर्वाधिक मतदान प्रतिशत का आंकलन करे तो 32.56फीसदी मतदाता याने 29.18 करोड़ मतदाओ ने अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया था। ये न तो जगरूक मतदाता के लक्षण है और न ही सही अर्थों में लोकतंत्र के प्रति सजगता। चुनाव आयोग को ऐसे लोगो को चिन्हांकित कर कोई उपाय करना होगा।
चलते चलते देश के पहले मतदाता श्याम शरण नेगी के बारे में जान लेना चाहिए क्योंकि जहां से नेगी खड़े हुए वही से देश के बाकी मतदाता का नाम जुड़ा। 1952का लोकसभा चुनाव की शुरुवात 1951अक्तूबर से हो गई थी। हिमाचल में नवंबर से मौसम की खराबी को ध्यान मे रख कर अक्तूबर में ही मतदान कराया गया। श्याम शरण नेगी स्कूल के टीचर थे अतः उनको पीठासीन अधिकारी बना कर पुरवानी, रिब्बा, मोरांग और नेसोंग गांव के लिए मतदान केंद्र शोपान्ग में भेजा गया था। इसी मतदान केन्द्र में 25अक्तूबर 1951को श्याम शरण नेगी ने स्वतंत्र भारत के पहले लोकसभा चुनाव के लिए मतदान किया था।
श्याम शरण नेगी ने 106साल तक के जीवन में 16लोकसभा, 14विधानसभा चुनाव के लिए मतदान किया। अपने जीवन के अंतिम मतदान में उन्होंने मतदान केन्द्र जा कर मतदान करना चाहा था लेकिन तबियत बिगड़ गई मतदान अधिकारियो ने उनके घर से मतदान कराने की व्यवस्था की। यही कारण है कि 2024के लोकसभा चुनाव में अशक्त और उम्र दराज व्यक्तियों के यहां मतदान वाहन नियमानुसार पहुंच रहा है।