रामकिंकर का प्रभाव है कि छत्तीसगढ़ के हर गांव में आज मानस मंडली तैयार हो गई
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00 रामकिंकर जी के साहित्यों ने भूले भटके लोगों को दिखायी जीने की राह
00 संगोष्ठी व सम्मान समारोह में मानस मर्मज्ञों को किया गया सम्मानित
रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से आए रामचरित मानस के वक्ता व रामकिंकर जी महाराज के अनुयायी आज इस बात से अपने को धन्य मान रहे थे कि जिस प्रकार युगतुलसी महाराज श्रीरामकिंकर जी का सर्वाधिक स्नेह श्रीराम कथा के माध्यम से छत्तीसगढ़ के प्रति था और आज उनका शताब्दी महा-महोत्सव की शुरुआत भी यहीं से हो रहा है। घर-घर, जन-जन में रामचरित मानस के माध्यम से उन्होने श्री राम को पहुंचा दिया हैं तभी तो वे कहा करते थे धनी, ज्ञानी, अभिमानी कई प्रकार के श्रोता उन्हे मिले हैं पर सबसे ज्यादा भावुक व सरल श्रोता कहीं मिले तो वह है छत्तीसगढ़। उनके प्रभुत्व व दर्शन पर संगोष्ठी व सम्मान का कार्यक्रम मंगलवार को सिंधु पैलेस शंकरनगर में किया गया था। बारिश के बाद भी सभी जिलों से रामानुरागी पहुंचे थे, उन्होने संक्षिप्त में बारी-बारी से अपने विचार रखे। मंच से दीदी मां मंदाकिनी ने उनका सम्मान भी किया।
छत्तीसगढ़ के हर जिले से विद्वतजन पहुंचे थे, जिन्होने रामकिंकर परिवार के सदस्य के रूप में समवेत रूप से इस बात को स्वीकारा कि एक बेटी अपने पिता के लिए क्या कर सकती है यह दीदी मां मंदाकिनी कर रही है, इसलिए छत्तीसगढ़ में भी वे ज्यादा से ज्यादा जगहों पर कथा करने पहुंचती हैं और आज गांव-गांव में मानस मंडली तैयार हो गई है। कार्यक्रम के बीच में बार-बार स्वर्गीय प्रेमचंद जी जैस को याद किया जाता रहा, रामकिंकर महाराज को रायपुर श्रीराम कथा के लिए लाने वाले वे पहले व्यक्ति थे। उसके बाद वे जब तक जीवित थे प्राय: हर साल विवेकानंद जयंती के अवसर पर स्वामी विवेकानंद आश्रम में कथा के लिए आया करते थे, उन्ही प्रसंगों को याद करते हुए मानस मंडली के सदस्यों ने कहा कि रामकिंकर महाराज जी के मानस का प्रभाव है कि छोटे से छोटे कंकड़ को भी हीरा बना दिया तभी तो आज हम सब बोलने के काबिल हुए हैं। धन कुटुम्ब सब यहीं रह जाता है लेकिन कर्म इस लोक से उस लोक तक भी याद किया जाता है। मानस के मर्मज्ञ व रसिकजन वक्ताओं ने कहा कि विश्व को रामकथा का तत्व व शब्द दिया है रामचरित मानस के माध्यम से रामकिंकर जी महाराज ने। तुलसीदास जी ने एक रामचरित मानस का निर्माण किया और एक रामचरित मानस ने अनेका तुलसीदास का निर्माण कर दिया।
महाराज रामकिंकर को याद करते हुए वक्ता ने कहा कि एक व्यक्ति महाराजश्री के पास पहुंचकर कहा कि भजन में मन नहीं लगता बल्कि झंझट लगता है, तब उन्होने प्रेम से समझाया कि झंझट में भी भजन करते रहना तो झंझट भी भजन बन जायेगा। एक वक्ता ने कहा कि घर में संस्कार व आचरण को बदलने के लिए हर घर में मानस को पहुंचाया है तो रामकिंकर जी ने हर जीव को मानव बनाने का सबसे बड़ा माध्यम है रामचरित मानस। जन जन के मन में ये मंत्र दे दिया है कि घर-घर तुलसी, घर-घर मानस प्रवक्ता, घर-घर राम प्रगट हो गए। कांकेर से आए किशोरानंद जैन ने रामचरित मानस को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में जोड़े जाने की बात कही। तुलसीदास जी के भाव व विचारों को महाराजश्री के साहित्यों में सहज ही पढ़ा जा सकता है। मानस में जीवन के हर पहलू को पिरोया गया है। बालोद से आए मनहरण साहू ने कहा कि वे बारात में नहीं जा पाने से काफी निराश थे पता चला कि श्रीराम कथा हो रही है सुनने चले गए तो सारी निराशा दूर हो गई।
तुलसी मानस प्रतिष्ठा के गोपाल वर्मा ने कहा कि रामकिंकर जी में तीन आराध्य का एक साथ दर्शन होते हैं श्रीराम, शिव और हनुमानजी। भगवान स्वामी और हम उनके सेवक का भाव जब तक नहीं आयेगा तब तक आप तुलसीदास, सूरदास, रैदास, घासीदास जैसे भाव पा ही नहीं सकते। बैजेन्द्र गोस्वामी ने कहा कि रामकिंकर जी के साहित्यों ने भूले भटके लोगों को राह दिखायी है। दुर्ग से आए वेदराम साहू ने कहा कि जिस प्रकार एक पिता से पुत्र को जो सब प्राप्त होता है वहीं मानस रूपी अनमोल पूंजी के रूप में रामकिंकर जी ने मानस के माध्यम से छत्तीसगढ़ के हम सब रामभक्तों को उपलब्ध कराया है। साहित्यकार प्यारेलाल साहू ने कहा कि.. रामकथा में जुड़ गया एक नया अध्याय, हम किंकर हैं आप के-आप किंकर हो राम के, तुलसी के बाद आराधक हो आप प्रभु राम के..।