June 24, 2025

बेज़ुबान जानवर को मारने वाला सलाखों के पीछे

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रायपुर। बेज़ुबान जानवरों के प्रति हिंसक घटनाएं जारी है हाल ही में अवंति विहार में कुत्ते के एसिड फेंकने जहर देने की घटना के बाद उरला क्षेत्र में सोते हुए कुत्ते को जान से मारने की घटना में आरोपी को पुलिस ने पशु प्रेमियों द्वारा दर्ज की शिकायत पर पशु अधिनियम एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया।

यह पूरा मामला शनिवार की रात का  उरला के शिशु मानस भवन चौक के पास का बताया जा रहा है।तुकाराम निषाद उर्फ ​​छोटू नामक शख्स ने एक कुत्ते को सोते समय बड़ी बेहरमी से सिर पर पत्थर से वार किया जिससे उसकी मौत हो गई। इसकी जानकारी होने पर उसी क्षेत्र में रहने वाले पशु प्रेमी खगेश कश्यप ने अपने सहयोगी स्निग्धा चक्रवर्ती और मुकेश के साथ मिलकर मामले का पता लगाया। सीसी कैमेरे में तुकाराम सोते हुए कुत्ते के सिर पर हमला करते हुए दिखाई दे दिया।उरला थाने में दर्ज शिकायत पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 429 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है और आरोपी तुकाराम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

राजधानी में एक महीने के भीतर कुत्ते की निर्मम हत्या की यह दूसरी घटना है, यह कहने की जरूरत नहीं है कि राज्यभर में ऐसे कई अपराध हो रहे होंगे जो रिपोर्ट नहीं की जाती क्योंकि लोग जानवरों के जीवन को महत्व नहीं देते हैं। लेकिन एक कुत्ते के लिए उनकी जिंदगी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी हमारे लिए हमारी। यह चिंताजनक है कि शहर में जानवरों के खिलाफ क्रूरता की बढ़ती संख्या को देखने के बाद, जिसमें सामुदायिक जानवरों पर नियमित रूप से लात मारना, मारना, पत्थर फेंकना, पानी फेंकना शामिल है, हम अभी भी आत्मरक्षा में प्रतिक्रिया करने के लिए जानवरों को दोषी मानते हैं।

*5 साल तक की हो सकती है सजा!*
IPC की धारा 429 किसी जानवर की हत्या करना या अपाहिज करने को अपराध बनाती है। ये धारा कहती है कि अगर किसी जानवर की हत्या की जाती है, उसे जहर दिया जाता है या फिर अपाहिज किया जाता है, तो दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। वहीं, पशु क्रूरता निवारण कानून की धारा 11 (1) (L) के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी जानवर के हाथ-पैर काटता है या बिना वजह ही क्रूर तरीके से उसकी हत्या करते है, तो ऐसा करने पर दोषी पाए जाने पर तीन महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

संविधान का अनुच्छेद 51 (A) (g)क्या कहता है?
संविधान का अनुच्छेद 51 (A) (g) कहता है कि हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। यानी, हर नागरिक का कर्तव्य है कि वो पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन बनाए रखे।

1960 में लाया गया था पशु क्रूरता निवारण अधिनियम
देश में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही इस एक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है। मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस एक्ट में शामिल हैं। जैसे- अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है, तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा।