सिगनल एवं दूरसंचार विभाग द्वारा तकनीकी एवं संरक्षा वर्कशॉप का आयोजन
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बिलासपुर। सिगनल एवं दूरसंचार विभाग के द्वारा समय-समय पर तकनीकी एवं संरक्षा वर्कशॉप आयोजित किया जाता है । जिससे सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को तकनीकी कौशल के साथ-साथ स्वयं को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है । द.पू.म.रे. के रायपुर में एक कार्यशाला (कार्य के दौरान सुरक्षा एवं आत्मरक्षा) का आयोजन किया गया । इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में प्रधान मुख्य सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर, द.पू.म.रे. बिलासपुर, श्री सुरेश कुमार सोलंकी एवं जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ मंडल सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर, रायपुर, श्री रवि शंकर गोयल के द्वारा किया गया । इसमें भाग लेने वाले उप मुख्य सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर/गतिशक्ति, श्री अनुज गुप्ता, मंडल सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर/रायपुर, श्री चंचल प्रियदर्शी एवं सहायक मंडल सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर/रायपुर के अलावा अन्य अधिकारी एवं कर्मचारीगण बड़ी में उपस्थित थे ।
सिगनल एवं दूरसंचार विभाग रेलवे की जीवन धारा है । ट्रेनें सिगनल के इशारे पर चलती और रूकती है । आज के दौर में सिगनलिंग का योगदान हर दिन बढ़ता ही जा रहा है । ऑटोमैटिक सिगनल का उसमें बहुत ही खास योगदान रहा है । कर्मचारियों को कार्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी है और साथ ही साथ स्वयं की रक्षा भी उतना ही आवश्यक है । हाल के दिनों में कुछ अप्रिय घटना घटित हुई जिसे कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता । इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मुख्य अतिथि श्री सोलंकी ने कार्यशाला को संबोधित किया ।
उन्होने कहा कि ऑटोमैटिक द्विदिशीय पथ सिगनलिंग व्यवस्था में ट्रेनों को आवागमन दोनो ओर से लगातार होता रहता है। अतः कर्मचारियों को बहुत ही ध्यानपूर्वक काम करने की आवश्यकता होती है यहां तक की काम के दौरान एक ऐसे व्यक्ति को रखा जाए जो सिर्फ ट्रेनों का परिचालन के बारे में अपने साथी कर्मचारियों को अवगत् कराए ।
रेलवे कर्मचारी या तो यार्ड में काम कर रहे हैं या सेक्शन में, दिन हो या रात हो उन्हें रेट्रोरिफ्लेक्टिव जैकेट पहनना आवश्यक है ।
रेलवे कर्मचारी कार्य के दौरान आवश्यकता होने पर ही मोबाईल का उपयोग करें और लाईन से करीब 20-30 मीटर की दूरी बना कर ही बातचीत करें। यही प्रक्रिया आम लोगों को भी अपनानी चाहिए जिससे जानमाल की सुरक्षा हो सके ।
कार्य के दौरान कोई भी शार्टकट पद्धति का प्रयोग नहीं करें और न ही कार्य के प्रति कोई लापरवाही बरतें ।
जहां तक संभव हो सके सभी रेलवे कर्मचारी अपने ज्ञान को बढ़ायें और एक दूसरे का सहयोग करें। ज्ञान ही सिग्नल उपकरणों को सही रखने में सहायक हो सकती है । अच्छे ज्ञान के साथ अच्छे रख-रखाव से कम दोषों का मार्ग प्रशस्त होगा जिससे ट्रैक पर आपात कार्य की आवश्यकता कम होगी तथा दुर्घटनाओं/आपदाओं की संभावना न्यूनतम होगी। यह सभी से अपेक्षा की जाती है कि लोग इमानदारी और समझदारी से कार्य करें जिससे किसी भी तरह की दुर्घटना से बचा जा सके ।
कार्यशाला के अंत में मंडल सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर, रायपुर, श्री चंचल प्रियदर्शी ने मुख्य अतिथि को बहुमूल्य सुझाव के लिए धन्यवाद दिया और उम्मीद जताई की सभी अधिकारी एवं कर्मचारीगण इसको आत्मसात् करेंगे ।