मुख्यमंत्री को लेकर भाजपा में नहीं छटे कुहासे के बादल

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*ठंडे मौसम में मुख्यमंत्री की रेस को लेकर अटकलों का बाजार गर्म *

रायपुर। विधानसभा चुनाव संपन्न हुए 20 दिन हो गये और परिणाम आकर पांच दिन हो गये।सूबे में सत्ता की चाबी जनता ने भाजपा को सौंप दी।लेकिन पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री को लेकर भाजपा आलाकमान अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया है जाहिर है वह भी पशोपेश में है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री को लेकर पार्टी में अभी भी कुहासे के बादल छाए हुए हैं।

मुख्यमंत्री की रेस को लेकर हर कोई अपना अनुमान लगा रहा है समीकरण से यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि उनका आंकलन सटीक है।लेकिन वास्तविकता यह है कि फिलहाल पीएम मोदी गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी मुखिया के दिमाग में क्या चल रहा यह कोई ठोस रूप से नहीं बता सकता। तीन राज्यों में सत्ता और तीन मुख्यमंत्री का चयन आसान नहीं। इनमें से केवल शिवराजसिंह हैं जो अपने दम पर पार्टी को इतने प्रचंड बहुमत के साथ लेकर आये हैं। चुनाव से पूर्व उनकी कुर्सी भी डोलती नजर आ रही थी। राजस्थान और छत्तीसगढ में मुख्यमंत्री का चयन पार्टी के लिये गणित का एक कठिन सवाल बना हुआ है।

भाजपा पर अनुशासित पार्टी का तमगा लगा हुआ है,और वह यह नहीं चाहती कि मुख्यमंत्री के सिंहासन पर ताजपोशी के बाद पार्टी को अंतर्द्वंद का सामना करना पड़े ,क्योंकि अनेक ऐसे विधायक हैं जो वरिष्ठ हैं ऐसे में मुख्यमंत्री से टकराहट होना कोई नई बात नहीं है। इसी वजह से भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को छत्तीसगढ और राजस्थान में मुख्यमंत्री चयन को लेकर फूंक-फूंक कर कदम उठाना पड़ रहा है।