बंधन घर से नहीं मन से होता है- डॉ. इन्दुभवानन्द महाराज

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रायपुर। पुरानी बस्ती स्थित महामाया माता मंदिर सार्वजनिक न्यास समिति के सचिव व्यास नारायण तिवारी एवं न्यासी पं विजय कुमार झा ने बताया है कि मंदिर समिति के तत्वाधान में गुप्त नवरात्रि में 19 जून से जारी श्रीमद् देवी भागवत के चतुर्थ दिवस कथा को विस्तार देते हुए परम पूज्य ब्रह्मलीन ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के परम प्रिय शिष्य शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख डॉ इन्दुभवानन्द महाराज ने बताया कि गृह बन्धनागार नहीं है और न ही बंधन का कारण है।

जो मन से बंधन मुक्त है वह गृहस्थ आश्रम में रहते हुए भी मुक्त हो जाता है। जो न्याय मार्ग से धनोपार्जन करता है। शास्त्रोक्त कर्मों का विधिवत संपादन करता है। पितृ श्राद्ध आदि यज्ञ संपादन करता है तथा सर्वदा सत्य बोलता है, पवित्र रहता है वह घर में रहते हुए भी मुक्त हो जाता है। ब्रह्मचारी, संन्यासी, वानप्रस्थी व्रतोपवास करने वाले यह सब दोपहर के समय गृहस्थ के पास ही भिक्षा लेने आते हैं। वे धार्मिक गृहस्थ श्रद्धा के साथ मधुर वचनों द्वारा सब का सत्कार करते एवं अन्नदान से उन्हें उपकृत करते हैं।

गृहस्थ आश्रम से बढ़कर कोई दूसरा आश्रम देखा या सुना नहीं गया है। वशिष्ठ मुनि आदि आचार्य और तत्वज्ञानियों ने इसका आश्रय लेकर मुक्ति प्राप्त की है। वेदोक्त कर्म करने वाले गृहस्थ के लिए कुछ भी असाध्य नहीं रह जाता है। वह स्वर्ग, मोक्ष अथवा उत्तम कुल में जन्म- जो कुछ भी चाहता है, उसे सहज ढंग से प्राप्त हो जाता है तथा शास्त्रों के अनुसार एक आश्रम से दूसरे आश्रम जाना चाहिए। यही शाश्वत आश्रम व्यवस्था मानी जाती है। अतः आलस्य रहित होकर गृहस्थ संबंधी कर्मों को संपादित करना चाहिए। उक्ताशय का उपदेश वेदव्यास जी महाराज अपने पुत्र श्री सुखदेव जी महाराज को गृहस्थ आश्रम स्वीकार करने के के उद्देश्य दे रहे हैं। प्रवचन के दौरान मां मानस मंडली धाराशिव बलौदा बाजार के संगीत गायक तरुण यादव, हिमांशु यादव, तबला पर संगत कमलेश निषाद तथा हारमोनियम पर आशीष साहू द्वारा जस गीत, देवी भजन व मंत्रमुग्ध कर देने वाली आरती का गायन किया जा रहा है। कार्यक्रम समापन के बाद उपस्थित श्रद्धालुओं को पं विजय कुमार झा ने देवी भजन कभी फुर्सत हो तो जगदंबे निर्धन के घर भी आ जाना प्रस्तुत कर मनमोह लिया।