एसजीपीजीआइ डॉक्टरों की टीम ने 11 वर्षीय बच्ची को दिव्यांगता से बचाया

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लखनऊ।संजय गांधी स्नाकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ,लखनऊ) तीन विभागों की 25 डॉक्टरों की टीम ने चार घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद दुर्घटना में एक बच्ची के कांधे से अलग हुए एक हाथ को फिर से रिकंस्ट्रक कर उसे दिव्यांगता के दंश से बचा लिया। ऑपरेशन के बाद बच्ची के हाथ में रक्त प्रवाह सामान्य हो गया। 11 वर्षीया दिशा का हाथ कोल्हू में फंसकर कांधे से कट गया था।

दिशा का ऑपरेशन करने वाली टीम के प्रमुख डॉक्टर प्लास्टिक सर्जन प्रो. अंकुर भटनागर ने बताया कि हादसे के बाद दिशा के परिजन  हाथ को पालीथिन में रखकर दिशा को लेकर एसजीपीजीआइ के एपेक्स ट्रामा सेंटर पहुंचे।जांच के बाद हाथ को जोड़ने का फैसला लिया। प्रो. अंकुर के अनुसार, हाथ को अलग हुए दो घंटे हो चुके थे। चार घंटे के अंदर सर्जरी न होने पर बच्ची का हाथ न जुड़ पाता। आधे घंटे में विशेषज्ञों के साथ सर्जरी शुरू की गई। दिशा का बीपी लगातार गिर रहा था। आइसीयू टीम की मेहनत से 48 घंटे के अंदर रक्तचाप सामान्य हो गया।

सर्जरी के बाद दिशा को प्लास्टिक सर्जरी वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। अब वह पूरी तरह ठीक है।एक साथ दो टीमों ने किया काम : सर्जरी में एक टीम ने कटे हाथ को हड्डी, रक्त प्रवाह नलिका, मांसपेशी और नर्व को ठीक किया। उसी समय दूसरी टीम ने जहां से हाथ कटा था, वहां पर सर्जरी शुरू की।सब कुछ ठीक होने के बाद कटे हाथ की तंत्रिका, नसों, मांसपेशी और त्वचा को जोड़ा गया। लगभग चार घंटे के अंदर हाथ जोड़ दिया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजय धीराज, ट्रामा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. राजेश हर्षवर्धन एवं निदेशक प्रो. आरके धीमान ने कहा कि यह बड़ी उपलब्धि है।