स्यादवाद और अनेकांतवाद को समझ लिया तो पूरा जीवन समझ में आ जाएगा : विरागमुनिजी

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रायपुर। जैन दादाबाड़ी में 15 जुलाई को जैन संत श्री विरागमुनि जी का भव्य प्रवेश होगा। वहीं, मुनिजी का रायपुर प्रवेश हो चुका है और जिनवाणी की वर्षा करते हुए श्रावक-श्राविकाओं को लाभान्वित कर रहे हैं। जिनवाणी की वर्षा के क्रम में सोमवार को दीर्घ तपस्वी श्री विरागमुनिजी के श्रीमुख से चौबे कॉलोनी स्थित पार्श्वनाथ जिनालय में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने प्रवचन का लाभ लिया।
प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा कि आज हमें जीवन का कल्याण करना है। उसके लिए हमें कल्याण मित्र चुना है जो कि एक बहुत ही मुश्किल कार्य है। आज तो कल्याण मित्र उसे माना जाता है जो आपकी हां में हां मिलाए, जो आपका विरोध करता है या जिससे आपका वैचारिक मतभेद होता है वह तो आपका दुश्मन हो जाता है। मित्र मंडल की बात तो बहुत दूर की है आज तो घर में ही पिता अपने बच्चों के कल्याण के लिए उन्हें नहीं कह सकता कहीं भी तो कैसे पिता भी अपने मोबाइल में व्यस्त हैं और बच्चा भी यहां तक तो दादाजी भी मोबाइल में मस्त होते हैं। अब बच्चे को रोके तो रोक कैसे, वह तो वापस पलट कर बोल सकता है कि आप भी तो दिन भर मोबाइल चलाते हो, तो मुझे क्यों मना कर रहे हो। वैसे भी आज आप दुनियाभर में घुम रहे हो, फिर ऐसा क्या बच जाता है जो आपको रात में मोबाइल देखने की आवश्यकता पड़ जाती है।
मुनिजी ने आगे कहा कि आज कल्याण मित्र आपको बहुत कम मिलेंगे। सलाह देने के लिए दुनियाभर के लोग सामने आ जाएंगे और जब आप किसी से सहायता मांगोगे तो उन हजारों में शायद कोई इक्का-दुक्का ही सामने आएगा। कितना अच्छा होगा कि आपको सलाह के बदले सहयोग मिल जाए। अगर आपको ज्यादा दिमाग लगाना पड़ रहा है तो आप केवल जैन समाज के दो रत्नों को समझ लो आपको पूरा जीवन समझ में आ जाएगा, वह है स्यादवाद और अनेकांतवाद।