June 23, 2025

पेड़- पौधों का दर्जा इंसानों से ऊपर: डा. उरकुरकर

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*प्रत्येक व्यक्ति मानसून में सिर्फ दो पौधे लगाकर उसका संरक्षण करे: काले*

रायपुर। इंसानों को जब भी अपने पद, प्रतिष्ठा, धन- संपदा का घमंड हो, तो उसे एक बार अपने घर से ही वृक्षों को ध्यान से देखना चाहिए, जो पूरी तरह स्वावलंबी होने के साथ जीव- जंतुओं को आक्सीजन देते हैं, प्रदूषण को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं और छांव भी देते हैं, वो भी बिल्कुल मुफ्त। उस वृक्ष को देखकर समझ में आ जाएगा कि उनके सामने उसकी हैसियत क्या है। कृषि वैज्ञानिक डा. जेएस उरकुरकर ने महाराष्ट्र मंडल में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में उक्ताशय के विचार व्यक्त किए।
डॉ. उरकुरकर ने कहा कि जीव- जंतु जगत दो भागों में बंटा हुआ है। एक हिटरोट्रॉफ और दूसरा ऑटोट्रॉफ। हिटरोट्रॉफ में वह जीव- जंतु आते हैं, जो अपने भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर करते हैं जैसे इंसान, जानवर, पशु- पक्षी। दूसरा है ऑटोट्रॉफ, इसमें वनस्पति पेड़- पौधे आते हैं, क्योंकि यह अपना भोजन स्वयं निर्मित करते हैं और अपनी देखभाल व वृद्धि करते हैं। उन्हें अपने भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होती। ऑटोट्रॉफ जीव प्रकृति व पर्यावरण को बेहतर तरीके से संतुलित करते हैं और स्वच्छ रखते हैं। इसके विपरीत हेटेरोट्रॉफ जीव, खासकर मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को क्षति पहुंचाते रहते हैं। इन्हें अधिक जागरूक और सचेत करने की जरूरत है।

महाराष्ट्र मंडल की पर्यावरण समिति द्वारा गत वर्ष दतरेंगा स्थित शासकीय शाला में जो वृक्षारोपण किया गया वह दे रहा है आने वाले कल का शुभसंकेत
डॉ. उरकुरकर ने कहा कि पृथ्वी में ऑक्सीजन की कुल मात्रा का केवल 20 फीसदी हिस्सा पेड़- पौधों से मिलता है। इसके विपरीत समुद्र की गहराइयों में प्लेंटम काई और वहां की संपदा से मिलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा 80 फ़ीसदी तक होती है। दुर्भाग्य यह है कि मनुष्य न केवल पृथ्वी को प्रदूषित कर रहा है, बल्कि बहुत बड़े पैमाने पर समुद्र की तलछटों को भी दूषित कर रहा है। दरअसल हमारे शहरों की गंदगी, प्लास्टिक- पॉलिथीन, प्रदूषित पानी नालों के माध्यम से नदियों में जा रहे हैं और नदियों का पानी समुद्र में। यही वजह है कि समुद्र से मिलने वाले ऑक्सीजन की मात्रा लगातार कम हो रही है और हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त करने में पहले की तुलना में कहीं ज्यादा परेशानी हो रही है। यही स्थिति लगातार बनी रही, तो आने वाले वर्षों में ऑक्सीजन की मात्रा को लेकर स्थिति चिंताजनक रहेगी।
पर्यावरण समिति के अध्यक्ष अभय भागवतकर के कहा कि पिछले कुछ सालों में हमने जो पौधे लगाए थे, अब वो वृक्ष का रूप ले चुके हैं। हमारी प्राथमिकता ऐसे शालाओं और स्थान पर पौधारोपण की है, जहां बाउंड्री वॉल हो, ट्री गार्ड की व्यवस्था हो। वहां पर पौधे लगाने के परिणाम शत- प्रतिशत मिलते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय मधुकर काले ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को मानसून के दौरान सिर्फ दो ही पौधे लगाने चाहिए लेकिन उनके संरक्षण के गारंटी लेनी चाहिए। साथ ही कम से कम 10 लोगों को दो-दो पौधे लगाने और उसके संरक्षण की गारंटी लेने के लिए प्रेरित भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र मंडल वर्ष 1989 से पौधारोपण अभियान चला रहा है। उसका नतीजा है कि दिव्यांग बालिका विकास गृह, संत ज्ञानेश्वर स्कूल, सीएसईबी मुख्यालय डंगनिया और गुढ़ियारी ऑफिस के अलावा चौबे कॉलोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल भवन के समक्ष लगाए गए पौधे अब वृक्ष बन चुके हैं।
कार्यक्रम का संचालन पर्यावरण समिति की प्रमुख गीता श्याम दलाल ने किया। आभार प्रदर्शन उपाध्यक्ष श्याम सुंदर खंगन ने किया। इस मौके पर सचिव चेतन दंडवते, महिला प्रमुख विशाखा तोपखानेवाले, पर्यावरण खेल समिति के सदस्य के अलावा विभिन्न समितियां के पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित रहे।