मदरसा इस्लाहुल मुस्लेमीन का मनाया जाएगा डायमंड जुबली, तैयारी जोरों पर
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रायपुर। हामिद अली मदरसा इस्लाहुल मुस्लेमीन (यतीम खाना) 2024 में सौ वर्ष (डायमंड जुबली) पूरे होने पर एक अज्जीमुश्शान प्रोग्राम का आयोजन नवम्बर-दिसम्बर 2024 में किया जाएगा। जिसमें देश-विदेश के आला लोग आएंगे। मदरसा की स्थापना 1924 में हुई थी।
बैजनाथपारा स्थित हामिद अली मदरसा इस्लाहुल मुस्लेमीन में पिछले दिनों बैठक रखी गई जिसमें काजी ए शहर मोहम्मद अली फारूकी ने बैठक की अध्यक्षता की और जिसमें शहर के गणमान्य नागरिक भी शामिल हुए। बैठक में फैसला लिया गया कि नवम्बर-दिसम्बर माह में होने वाले सौ साला प्रोग्राम को बड़े ही शानो-शौकत से मनाया जाएगा और इसमें सभी समाज के लोग शिरकत करें। हामिद अली मदरसा ने छत्तीसगढ़ के मुसलमानों को नई राह दिखाई और इस्लाम के रास्ते पर चलने की तौफीक दी है। काजी ए शहर मोहम्मद अली फारूकी ने बताया कि मुसलमानों को अपने दीन तालिम के लिए मदरसा बहुत जरूरी है क्योंकि डाक्टर, इंजीनियर, अफसर बन जाएगा पर दीन को भूल जाता है। मदरसे के बच्चे जनाजे की नमाज के लिए और अन्य घर में इस्लामिक कार्यक्रम के लिए जाते हैं मुसलमानों के लिए मदरसा बहुत ही जरूरी है। हामिद अली मदरसा ने छत्तीसगढ़ के मुसलमानों को नई दिशा दी है और इस्लाम के रास्ते पर चलना सिखाया है जो शांति का प्रतीक है।
बैठक में डा. मुजाहिद अली फारूकी, मौलाना जहीरूद्दीन, कारी रौशन अकबर नगर-लखनऊ उत्तर प्रदेश से, इमाम अब्दुल समद, अब्दुल रफीक रंगराज, शहबाज अली फारूकी, बदरुद्दीन खोखर, इकबाल शरीफ, अब्दुल शकूर, मुफ्ती आरिफ अली फारूकी (अल अजहरी), अब्दुल शमीम (पत्रकार), अब्दुल हमीद (पत्रकार), अख्तर हुसैन (पत्रकार) समेत मदरसे के बच्चे भी शामिल हुए।