नेताजी बोस जयंती पर महाराष्ट्र मंडल ने मनाया पराक्रम दिवस
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*रामोत्सव के अगले दिन पराक्रम दिवस मनाना हमारा सौभाग्य: जोशी*
रायपुर। महाराष्ट्र मंडल में मंगलवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वास्थ्य सेवा समिति के प्रभारी अरविंद जोशी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर पर माल्यार्पण का दीप प्रज्वलित किया। जोशी ने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या धाम में रामलला प्रतिमा के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा ‘रामोत्सव’ के बाद मंगलवार को पराक्रम दिवस का आयोजन हम सबके लिए गर्व की बात है।
जोशी ने कहा कि दो वर्ष पूर्व आज के ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। नेताजी विद्यार्थी जीवन में बेहद प्रतिभाशाली थे। उन्होंने इंग्लैंड में सिविल सर्विस परीक्षा (आईसीएस) चौथी रैंक के साथ उत्तीर्ण की थी। उनके पास बेहतरीन नौकरी का खुला आसमान था, लेकिन जलियांवाला बाग कांड ने उन्हें इस कदर विचलित कर दिया कि वे भारत देश की आजादी के आंदोलन में कूद पड़े।
अरविंद जोशी ने कहा कि वैचारिक रूप से महात्मा गांधी से गंभीर मतभेद होने के बावजूद वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने मोहनदास करमचंद गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में संबोधित किया था। जोशी ने कहा की 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी ने आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी। उनकी इस सरकार को जर्मनी, इटली, जापान, आयरलैंड, चीन, कोरिया, फिलिपींस सहित नौ देशों की मान्यता मिली हुई थी। 4 जुलाई 1944 को म्यांमार पहुंचे नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी आजाद हिंद फौज के जवानों को ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ नारा दिया। जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बीच बहुत प्रचलित हुआ। आज भी यही नारा उनकी पहचान बना हुआ है।
बोस जयंती समारोह में मंडल अध्यक्ष अजय काले, सचिन चेतन दंडवते, महाराष्ट्र नाट्य मंडल के सचिव प्रसन्न निमोणकर, अतुल गद्रे, सचेतक रविंद्र ठेंगड़ी सहित कई सदस्य उपस्थित रहे।