सेपरेशन एंड प्यूरिफिकेशन टेक्नीक्स एनवायरनमेंटल एप्लीकेशंस पर आधारित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस संपन्न
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रायपुर। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग ने 19-20 जनवरी को सेपरेशन एंड प्यूरिफिकेशन : एनवायरनमेंटल एप्लीकेशंस (आईसीएसपीटी) 2024 पर पहले अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आधिकारिक तौर पर आयोजन किया गया। इस सम्मेलन के उदघाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संस्थान की पूर्व निदेशक डॉ एस. के. पांडे की विशिष्ट उपस्थिति रही। इस दौरान संस्थान की प्रभारी निदेशक एवं सह संयोजक डॉ ए बी सोनी, डीन रिसर्च एंड कंसल्टेंसी डॉ प्रभात दीवान और आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर डॉ अनुराग गर्ग सम्मानित अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत में सम्मेलन के अध्यक्ष और केमिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष डॉ अमित केशव ने विभाग की शानदार यात्रा और उपलब्धियों को सभी के साथ साझा किया। डॉ. दीवान ने कंटेंपरेरी रिसर्च लैंडस्केप में इस कांफ्रेंस की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए इसके विषय के महत्व को रेखांकित किया। इसके अलावा उन्होंने वैज्ञानिक समझ को आगे बढ़ाने में ऐसे कांफ्रेंस की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए सेपरेशन एंड प्यूरिफिकेशन तकनीकों की जटिलताओं पर प्रकाश डाला।
प्रोफेसर डॉ. अनुराग गर्ग ने सम्मेलन के दौरान एक भाषण दिया। सेपरेशन एंड प्यूरिफिकेशन से संबंधित समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए डॉ. गर्ग ने अपने अनुभव साझा किए। उनके विचारों ने न केवल आयोजन के अकादमिक में योगदान दिया बल्कि इस क्षेत्र में चुनौतियों के समाधान पर व्यावहारिक दृष्टिकोण भी प्रदान किया।
डॉ ए. बी. सोनी ने सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान लगातार महीनों में दो कांफ्रेंसो के सफल आयोजन के लिए आयोजकों की सराहना करते हुए उन्होंने संस्थान की पूर्व निदेशक डॉ पांडे के नेतृत्व में किए गए उल्लेखनीय प्रयासों को उजागर किया। डॉ सोनी ने डॉ पांडे द्वारा किए गए प्रयासों के कारण हुए परिवर्तनों को स्वीकार करते हुए जीईसी रायपुर से एनआईटी रायपुर तक संस्थान की यात्रा को याद किया। इसके अलावा उन्होंने एनवायरनमेंट सस्टेनिबिलिटी के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए प्रदूषकों को कम करने और एक ग्रीन कैंपस को बढ़ावा देने के लिए चल रही पहल को रेखांकित किया।
अपने भाषण में डॉ पांडे ने सेडीमेंटेशन, क्रिस्टलाइजेशन और एवापोरेशन सहित सेपरेशन एंड प्यूरिफिकेशन के यूनिट ऑपरेशन पर विचार प्रदान किए। कंटेंपरेरी एनवायरनमेंट की चिंताओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने स्मॉग के मुद्दे को स्पष्टता से संबोधित किया और इससे होने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला। एक केमिकल इंजीनियर के रूप में अपने समृद्ध अनुभव से प्रेरणा लेते हुए, डॉ पांडे ने वायु और जल प्रदूषण के जहरीले और गैर-विषैले कचरे के प्रभावी निपटान की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया।उन्होंने आर्टिफिशियल किडनी के विकास जैसी अभूतपूर्व प्रगति पर भी चर्चा की और एक स्थायी ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के उपयोग की बात की।
कांफ्रेंस में देश के विभिन्न संस्थानों के प्रतिभागियों ने 93 शोध पत्र प्रस्तुत किए, जिनमें से 82 शोध पत्रों का चयन इस कॉन्फ्रेंस के लिए किया गया। कांफ्रेंस में 6 टेक्निकल सेशन आयोजित किए गए। सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र प्रखर जैन, आदित्य नारायण तिवारी, बी. अपर्णा, ध्रुव मुखोपद्याय, दीपांजन रॉय, ऊषा लकरा और सारंगा बैश्य को प्रदान किया गया। समापन समारोह में डॉ. ए. के. पुनिया ने इन कांफ्रेंस को परस्पर विचारों के आदान प्रदान का मंच बताया। डॉ. ए. बी. सोनी ने इस कांफ्रेंस को पर्यावरण से संबंधित वैश्विक समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करने वाला बताया। उन्होंने तकनीकी विकास के साथ आने वाली समस्याओं पर सभी का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया और आने वाली पीढ़ी को कम से कम स्वच्छ हवा और पानी उपलब्ध कराने की अपील की। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान करने के साथ यह कांफ्रेंस समाप्त हुआ।
एनआईटी रायपुर के निदेशक प्रोफेसर एन. वी. रमना राव कांफ्रेंस के मुख्य संरक्षक रहे। डॉ अमित केशव , विभागाध्यक्ष, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग इस कांफ्रेंस के अध्यक्ष और डॉ जे आनंदकुमार, डॉ चंद्रकांत ठाकुर , डॉ एम एस गायकवाड़, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग इस कांफ्रेंस के आयोजन सचिव रहे |