मणिपुर में दवाईयों की भारी कमी, प्रभावितों से मिलकर लौटा डॉक्टर ऑन स्ट्रीट की टीम
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00 अन्य समाजसेवी संगठनों से राहत पहुंचाने की अपील
रायपुर। डॉक्टर ऑन स्ट्रीट (दोस्त) की एक टीम पिछले दिनों मणिपुर के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कल शुक्रवार को राजधानी रायपुर पहुंची और शनिवार को पत्रकारों से रुबरु होते हुए उन्होंने बताया कि मणिपुर में एक ओर जहां हिंसा ने मणिपुर को गहरी समस्या में डाल रखा है वहीं दूसरी ओर विस्थापना के शिकार लोगों को सहायता पहुंचाने का संकट विकराल रुप धारण किए हुए है। यहां दर्वाइयों की भारी कमी है जिसके कारण कई लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित होते जा रहे है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के समाजसेवी संगठनों के साथ ही दीगर राज्यों के संगठनों से भी अपील की है कि वे मणिपुर संकट में मानवीय सहायता के लिए आगे आए और उन्हें राहत पहुंचाने की कोशिश करें ताकि वे इस त्रासदी दूर हो सकें।
निवानों शांति पुरुस्कार विजेता पी.वी. राजागोपाल के आव्हान पर छत्तीसगढ़ की डॉक्टर्स ऑन स्ट्रीट (दोस्त) की टीम जिसमें डा. सत्यजीत साहू के नेतृत्व में डा. संगीता कौशिक, सुनील शर्मा, सूरज दुबे, सुनील ठाकुर गए थे और उन्होंने वहां बुजुर्गों और बच्चों की जांच कर दवाईयों का वितरण किया। उन्होंने बताया कि वहां मूलभूत सुविधाओं के साथ उनके रहने, खाने, पढ़ाई, स्वास्थ्य की भारी कमी है, कई महिलाएं तो गर्भवती भी है लेकिन उन्हें जो दवाईयां मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है जिसके कारण उनमें भारी कमजोर आ गई है। 7000 से अधिक राहत शिविर चल रहे है जिनमें से वे खुमन लैंपक रिलिफ व तेरनपोपकी कैंप जिला इंफाल ईस्ट, थांगाचिंखा जिला बिष्णुपुर, सैंघाग क्वाकता जिला मोयरांग व उरूप रिलिफ कैंप जिला माछल पहुंचे एक कैंप में 200 से 500 लोग रहे थे इनमें तो कई ऐसे जगह थे जहां दीवार की जगह मच्छर दानी का पर्दा लगा हुआ था और वे जैसे-तैसे अपना गुजर बसर कर रहे है, यहां उन्हें खाने में सिर्फ दाल और भात रोजाना दिया जा रहा है। वहां से लौटने के बाद वे नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरु इंस्टीस्ट्यूट के डॉक्टरों से मिले और उनसे स्वास्थ्य के बारे में विस्तृत चर्चा की तो उनका कहना था कि हम वहां पर गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए दवाईयां उपलब्ध करा सकते है लेकिन सामान्य बीमारियों के लिए नहीं क्योंकि इतनी सारी दवाईयां उपब्लध कराने में वे सक्षम नहीं हैं।