सीनियर एडवोकेट डेजीगनेशन दिये जाने को लेकर याचिका दायर

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*जजों, मंत्रियों और दिग्गज वकीलों का कब्जा एनएलसी अध्यक्ष का आरोप*

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सीनियर अधिवक्ताओं को डेजीगनेशन दिये जाने में हो रहे भेदभाव को लेकर नेशनल लायर्स कैंपेन फॉर जूडिशियल ट्रांसपरेंसी एंड रिफार्म्स (NLC) के अध्यक्ष ने इस ओर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान आकर्षित करते हुए याचिका दायर की। सीजेआई ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि वो स्वंय केस को सुनेंगे। मामले की सुनवाई के लिए 20 मार्च की तारीख मुकर्रर की।

एनएलसी के अध्यक्ष मैथ्यूज जे नेदमपारा ने दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि  सीनियर एडवोकेट के डेजीगनेशन पर जजों, मंत्रियों और दिग्गज वकीलों के बच्चों और रिश्तेदारों का एकाधिकार सा बन गया है। एडवोकेट एक्ट 1961 के अंडर सेक्शन 16 और 23(5) के तहत किसी वकील को सीनियर का दर्जा दिया जाता है। सीनियर का दर्जा मिलने के बाद वकील को काफी सारे विशेष अधिकार मिलते हैं।

नेदमपारा का कहना है कि सीनियर के तहत मिलने वाले ये अधिकार कुछ खास लोगों को ही मिल हैं। ये लोग बेहद ताकतवर हैं। इनमें सरकार के मंत्रियों के साथ मजबूत नेता, दिग्गज वकील और जजों से जुड़े लोगों को ये विशेष अधिकार बड़े आराम से मिल जाता है। आम वकील सीनियर का दर्जा हासिल करने के लिए सारी उम्र एड़ियां घिसता रह जाता है।

उनका कहना है कि इस वजह से आम वकीलों के साथ अदालतों में भेदभाव किया जाता है। वो चाहें कितनी भी कोशिश कर लें लेकिन उनके नाम के साथ सीनियर नहीं जुड़ पाता, क्योंकि उनकी सिफारिश लगाने के लिए उनके पीछे कोई मजबूत शख्स नहीं होता है। ये भेदभाव तकरीबन हर जगह पर किया जा रहा है।