रंग पंचमी पर गूंजे फाग गीत, हुआ कविता पाठ
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00 कला संस्कारों की जननी है – डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर
रायपुर। अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती द्वारा रंग पंचमी के अवसर पर होली मिलन समारोह का आयोजन चंद्राकर छात्रावास डंगनिया में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं प्रभु श्री रामचंद्र पर माल्यार्पण कर किया गया। सभी अतिथियों, कवियों को रंग गुलाल लगाकर एवं फूल माला से स्वागत सुश्री रजनी बाजपेई विभाषा मिश्रा व्याख्याता किरण चंद्राकर द्वारा किया गया। तत्पश्चात फाग गीत डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर, संतोष चंद्राकर, जागेश्वरी चंद्राकर, प्राण मानिकपुरी, एवं साथियों द्वारा प्रस्तुत किया गया। मंच संचालन कवित्री उर्मिला देवी उर्मी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संयोजन केदार चंद्राकर अध्यक्ष, चंद्राकर समाज रायपुर एवंअनिल चंद्राकर युवा अध्यक्ष, सचिव श्रीमती किरण चंद्राकर, श्रीमती मीना चंद्राकर का विशेष सहयोग रहा।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के जाने-माने कवि साहित्यकार गीतकार रामेश्वर शर्मा, मीर अली मीर, राजेश जैन राही, लोकनाथ साहू ललकार, उर्मिला देवी उर्मी, अनिल श्रीवास्तव जाहिद, उपेंद्र कश्यप, विजय मिश्रा अमित, डॉक्टर सीमा श्रीवास्तव, इंद्रदेव यदु, दिनेश साहू, भक्त भूषण चंद्रवंशी, गुरदीप टुटेजा, संजय देवांगन, धनराज साहू नूपुर साहू, बजरंग बंसल, डॉ. योगेंद्र चौबे इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ खेमराज साहू बलजीत कौर द्वारा बहुत सुंदर कविता पाठ किया गया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि लीलाधर चंद्राकर, ललित बघेल, मोहन वल्र्यानी, आशीष शर्मा, मोहन,मनराखन, प्रशांन्त, पद्मिनी, पुनीता, कविता आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए संस्कार भारती की संकल्पना को बताते हुए डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर ने कहा की संस्कार भारती साहित्य एवं भारतीय ललित कलाओं के संरक्षण संवर्धन हेतु बना है इसके माध्यम से कला एवं साहित्य के क्षेत्र में आज भारत में सबसे बड़ा संगठन बन चुकी है। कला राष्ट्र की सेवा आराधना पूजा का एक शाश्वत एवं सशक्त माध्यम है, भारतीय संस्कृति के समान ही भारतीय कलाओं की प्रकृति भी अनेकता में एकता का दर्शन कराती है संस्कार भारती का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक में विशेषकर नई पीढ़ी को कला के माध्यम से सुसंस्कृत करना एवं उसको आनंद में बनाना है इसके अतिरिक्त नवोदित साहित्यकारों, कलाकारों को मंच प्रदान करना एवं उनका संरक्षण संवर्धन करना है। डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर ने कहा कि कला संस्कारों की जननी है, समाज को सुसंस्कृत करने के लिए ललित कलाओं का विकास भी उसी के अनुरूप होना चाहिए संस्कार भारती का लक्ष्य वर्तमान समय में दिग्भ्रमित युवा पीढ़ी को साहित्य और कलाओं के माध्यम से सुसंस्कारित कर सही दिशा प्रदान करना और स्वस्थ समाज का निर्माण करना है इस पुण्य प्रयास में आप सभी की भागीदारी चाहते हैं।