जवानों ने पूवर्ती की बेटी को नेग-उपहार व आशीर्वाद देकर किया विदा, यह बदलते बस्तर की तस्वीर है – कश्यप
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सुकमा। सुकमा और बीजापुर जिले के सीमा क्षेत्र पर एक करोड़ के ईनामी नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती में विवाह के बाद एक बेटी की विदाई की तस्वीर सामने आई है, जिसमें परिवार के साथ बेटी सीआरपीएफ कैंप पहुंचकर वहां तैनात जवानों ने मिलकर उनके पैर छुए, जवानों ने नजर उतारी और भाई बनकर उसे विदाई दी, इस दौरान जवान पूरे गांव वालों के साथ जमकर थिरके। छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप ने आज बुधवार को पूवर्ती की बेटी के विदाई का वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर शेयर कर उन्होंने लिखा है कि सीआरपीएफ 150वीं बटालियन के जवानों ने पूरी आत्मीयता के साथ बहन को नेग दिया, आशीर्वाद दिया और खुशी से झूम उठे। जहां कभी सन्नाटा था, वहां अब प्रेम, अपनापन और सुरक्षा का उजाला फैल रहा है, यह बदलते बस्तर की तस्वीर है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नक्सली हिड़मा एवं देवा के ग्राम पूर्वर्ती में मंगलवार को एक बेटी का विवाह हुआ उसकी विदाई में पूरा गांव उमड़ा था। गांव की एक बेटी के विवाह में ग्रामीणों ने अपने जश्न में पास के कैंप में तैनात जवानों को आमंत्रित किया गया । जब दुल्हन को विदा किया जा रहा था, तो पूरी बारात जंगल में चली गई, ताकि दुल्हन को सीआरपीएफ के जवानों से मिलवाया जा सके, जिसके बाद बेटी स्वयं अपने घर से सीआरपीएफ कैंप तक आई, इसके साथ पूरे गांव के लोग भी थे। इस दौरन सभी पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन में थिरक रहे थे। वहीं नवविवाहिता बेटी ने जवानों से मुलाकात कर भाइयों से आशीर्वाद लिया जवानों ने आर्शीवाद के साथ नेग-उपहार देकर अपनी बहन की तरह विदाई दी। यह इस गांव का एक ऐतिहासिक लम्हा बन गया है।
दरअसल यह विदाई इसलिए भी खास है, क्योंकि देश के सबसे बड़े खूंखार नक्सलियों में से एक माड़वी हिड़मा का यह गांव है, देवा बारसे भी यहीं का रहने वाला है। सालभर पहले तक इस गांव में नक्सलियों की हुकूमत चलती थी। सर्चिग के दौरान जब भी जवान इस गांव में या फिर आस-पास के इलाके में पहुंचते थे, तो ग्रामीण उन्हें देखकर भाग जाया करते थे, छिप जाते थे। उन्हें डर होता था कि कहीं पुलिस एनकाउंटर न कर दे। लेकिन जब इस गांव में सुरक्षाबलों का कैंप खुला तो गांव में अब विकास पहुंचा। जवानों ने ग्रामीणों का दिल जीता, भरोसा जीता। जिसके बाद अब ग्रामीण खुलकर कैंप पहुंचते हैं, जवानों से बातचीत करते हैं। बस्तर संभााग के नक्सल ग्रस्त इलाकों में शांति की यात्रा में एक बेटी का विवाह मील का पत्थर साबित होगा। जहां कभी केवल रक्षक के रूप में देखे जाने वाले सुरक्षाबलों के जवानों को अब भाइयों के रूप में गले लगाया जाता है, और जहां जंगल अब डर से नहीं, बल्कि नई शुरुआत की खुशी की लय में थिरकने लगा है।