“पिछले 24 वर्षों में नहीं बन सका खेल का माहौल”
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*”38वें राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ राज्य के खिलाडिय़ों को अच्छा प्रदर्शन करना होगा”*
*आलेख.. जसवंत क्लॉडियस*
1 नवम्बर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ। इस तरह एक नये प्रदेश के अस्तित्व में आने के साथ ही साथ छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों, विभिन्न खेल संघ के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी बढ़ गई। राज्य में ओलंपिक संघ के तथा विभिन्न खेलों के राज्य खेल संघों का गठन हुआ। छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में मान्यता प्राप्त खेल संघों की राष्ट्रीय स्पर्धाओं का आयोजन शुरू हुआ। हमारे प्रदेश में ओलंपिक खेलों तथा गैर ओलंपिक खेलों और पारंपरिक खेलों के लिए अधोसंरचना का निर्माण प्रारंभ हुआ। 24 वर्षों पश्चात आज की परिस्थितियों में इस राज्य में हाकी, टेनिस, बैडमिंटन, तैराकी, व्हालीबाल, हैण्डबाल, बास्केटबाल, एथलेटिक्स, स्क्वेश, क्रिकेट, टेबल टेनिस आदि खेलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अधोसरंचना का निर्माण हो चुका है। 24 वर्षों पूर्व छत्तीसगढ़ में गिने चुने खेलों के (एनआईएस) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स से उत्तीर्ण प्रशिक्षक थे परंतु अब 20 से 25 खेलों के एनआईएस कोच उपलब्ध हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रदेश में केंद्रीय खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण, राज्य सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी उद्योगपतियों, राजनीतिज्ञों, खेल संघ के पदाधिकारियों, खेल प्रशासकों, पूर्व खिलाडिय़ों, खेल प्रेमियों द्वारा छत्तीसगढ़ में खेलकूद को लोकप्रिय बनाने तथा प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों के चयन से लेकर प्रोत्साहन तक में सहयोग किया गया है परंतु जब हम हकीकत में दस्तावेजों का अध्ययन करते हैं तो पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में खेल को लोकप्रिय बनाने के लिए या फिर खिलाडिय़ों के हौसला अफजाई के लिए पिछले 24 वर्षों में जो भी प्रयास किए गए हैं वह पर्याप्त नहीं है। वस्तुत: राष्ट्रीय खेलों के परिणाम को किसी भी राज्य के खेल गतिविधि का आधार माना जाता है। 2001 से लेकर 2023 तक के राष्ट्रीय खेलों के परिणाम पर नजर डालने से स्थिति और स्पष्ट होगी। छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतिभागियों ने 2001 में 2 रजत एक कांस्य सहित तीन, 2002 में तीन स्वर्ण, एक रजत, एक कांस्य सहित पांच, 2007 में तीन स्वर्ण, दो रजत, एक कांस्य सहित छ:, 2011 में चार स्वर्ण, एक रजत, दो कांस्य सहित सात, 2015 में दो स्वर्ण, चार रजत तथा चार कांस्य सहित 10, 2022 में दो स्वर्ण, 5 रजत, 6 कांस्य सहित 13 साथ ही 2023 में तीन स्वर्ण, तीन रजत, 19 कांस्य सहित 25 पदक प्राप्त किया। इस प्रकार पिछले सात राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ के प्रतिभागियों ने 16 स्वर्ण, 17 रजत, 34 कांस्य पदक सहित कुल 57 पदक जीता है। छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों की इस उपलब्धि को हम उत्साहजनक नहीं कह सकते। लेकिन सिर्फ उम्मीद पर खरे नहीं उतरने से हमारे प्रदेश के खेल व खिलाडिय़ों को उपेक्षित नहीं किया जा सकता है। हमारे राज्य की खेलकूद गतिविधि पर नजर डालने से स्पष्ट हो जाता है कि राज्य बनने के बाद विभिन्न खेल संघों में उच्च प्रशासनिक अधिकारी या राजनीतिज्ञ या समाज के प्रभावशाली व्यक्तियों ने अपना कब्जा जमा लिया। जिनका खेल के प्रति कोई विशेष दिलचस्पी नहीं थी। फिर खेल विभाग के पदस्थ खेल प्रशासकों की भी उपेक्षा उच्च प्रशासनिक अधिकारियों, राजनीतिज्ञों द्वारा की गई। ऐसे हालात में हमारे प्रदेश में खेल का वातावरणआज तक नहीं बन सका है। सबसे दुर्भाग्य की बात है कि 2018 से 2023 तक के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ के खेल वातावरण को बाधित किया गया इस दौरान खिलाडिय़ों को उनके हक से वंचित किया गया और खेल वातावरण को छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक का नाम देकर प्रदूषित करने की कोशिश की गई।हमारे प्रदेश में जब तक खेल व खिलाडिय़ों का जीवन, समाज में महत्व को समझने वाला नेतृत्व नहीं आएगा तब तक प्रदेश के खिलाडिय़ों का भविष्य उज्जवल नहीं हो सकता।