“खेल भावना को सेंध लगाने वालों पर हो कड़ी कार्यवाही”
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*प्रतिबंधित दवा ने किया अनेक खिलाडिय़ों का भविष्य अंधकारमय*
*जसवंत क्लॉडियस , “वरिष्ठ खेल पत्रकार”*
इन दिनों खेल के माध्यम से पैसा कमाने की नई परंपरा चल पड़ी है। 20वीं सदी के अंतिम दो दशक और 21वीं सदी के आरंभ से ही पैसों की चमक ने खिलाडिय़ों को गलत कार्य करने के लिए मजबूर कर दिया है। खेलकूद में अपने आप में स्टेमिना (दमखम) का विशेष महत्व होता है। खेल चाहे जो भी अगर प्रतिभागी में स्पर्धा या मैच की समाप्ति तक खेल मैदान में प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ संघर्ष के लिए बने रहने की क्षमता नहीं है तो फिर उसका वह मैच या टाइटिल जीतना मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर स्थानीय स्तर के मुकाबले से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मैच में कोई भी खिलाड़ी पराजित होना नहीं चाहता यही कारण है वह अपने अंदर की स्टेमिना को बढ़ाने के लिए ऐसी दवाई का प्रयोग करते हैं जिसे खिलाडिय़ों के लिए प्रतिबंधित किया गया है। खेल जगत में ऐसी दवाई के सेवन करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने की प्रावधान किया गया है। हाल ही में टेनिस खिलाड़ी आस्ट्रेलिया के पुरुष वर्ग में युगल खेलने वाले मेक्स पर्सेल प्रतिबंधित दवा के सेवन में जांच पर दोषी पाये गय हैं। पर्सेल पर लगे आरोप का जवाब देते हुए पर्सेल ने प्रतिबंधित दवा के सेवन को स्वीकार कया। पर्सेल ने माना कि उन्होंने विश्व डोपिंग एजेंसी (वाडा) के नियम को तोड़ा है। 26 वर्षीय खिलाड़ी ने बताया कि उन्होंने जो विटमिन पी थी वह 100 मिलीलीटर से अधिक थी जो कि वाडा के गाईड लाईन से ज्यादा है। सच्चाई के उजागर होने के पश्चात मैक्स पर्सेल की सदस्यता को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया। इस तरह 2024 के गुजरते हुए डोपिंग का प्रकरण सामने आना दुर्भाग्य की बात है। प्रत्येक खिलाड़ी/खेल से जुड़े व्यक्तियों को को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि वह खेलकूद में किसी मुकाबले की सच्चाई हार या जीत होती है। व्यक्ति विशेष के या किसी टीम के विजय होने से भले ही टूर्नामेंट समाप्त हो जाता है लेकिन वास्तविक सफलता खेल भावना की होती है। आश्चर्य की बात है कि 2024 में डोपिंग के तीन प्रमुख प्रकरण प्रकाश में टेनिस से आये हैं। दो अन्य प्रकरणों में एक विश्व नंबर एक पुरुष खिलाड़ी जेनिक सिनर और विश्व में दूसरे क्रम की महिला टेनिस खिलाड़ी इगा स्टिवेक से संबंधित है। इस तरह टेनिस में प्रतिबंधित दवा के प्रयोग का सामने आना अत्यंत कष्टप्रद है। विश्व में प्रथम वरीयता प्राप्त पुरुष और द्वितीय वरीयता प्राप्त महिला खिलाड़ी द्वारा डोपिंग में फसना इस बात का प्रमाण है कि टेनिस एक ऐसा खेल है जिसमें दूसरे खेल के मुकाबले कहीं अधिक धन अर्जित किया जा सकता है। पर्सेल ने 2022 में विंबल्डन तथा 2024 में यूएस ओपन में पुरुष युगल का खिताब जीता है। टेनिस के खिलाडिय़ों की इस हरकत से खेल भावना का गहरा ठेस लगा है। 2021 में भारत के 82 खिलाड़ी भी डोपिंग के प्रकरण में फंसे हैं। 17 खिलाडिय़ों पर प्रतिबंधित दवा लेने की जांच जारी है तथा भारत के 18 वर्ष से कम उम्र के 28 खिलाडिय़ों द्वारा प्रतिबंधित दवा लेने का आरोप है। उपरोक्त प्रकरण डोपिंग नियम 2021 के अनुसार दर्ज किए गए हैं। अत: स्पष्ट है कि भारत में भी प्रतिबंधित दवा के इस्तेमाल का फैशन चल रहा है। इसी वजह स्पर्धा में टाइटिल जीतने पर खिलाडिय़ों के लिए घोषित किए जा रहे इनाम की भूमिका सबसे महत्वूर्ण है। खिलाडिय़ों को प्रतिबंधित दवा लेने के प्रकरण में स्पष्ट रूप से उनके प्रशिक्षक और खान-पान विशेषज्ञ की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। इन दोनों को पता रहता है कि उसके प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे खिलाड़ी की वास्तविक क्षमता क्या है? अत: प्रतिबंधित दवा प्रकरण में इन दोनों पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए। भविष्य में खेलकूद के साफ सुथरे परिणाम के लिए प्रतिबंधित दवा के सेवन करने वालों पर कड़ी सजा का प्रावधान करना चाहिए साथ ही साथ शाला व महाविद्यालय स्तर के पाठ्यक्रम में इस विषय पर अध्ययन सामग्री का समावेश होना जरूरी है ताकि कम उम्र से ही बच्चों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि प्रतिबंधित दवा के इस्तेमाल से सबसे बड़ी हानि खेलभावना की होती है।