January 19, 2025

ऊर्जा संरक्षण दिवस पर व्याख्यान

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भिलाई। द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) की भिलाई शाखा द्वारा बुधवार, दिनांक 18 दिसंबर 2024 को **ऊर्जा संरक्षण दिवस 2024 ** के अवसर पर तकनीकी व्याख्यान का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में अतिथि वक्ता के रूप में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के प्राध्यापक डॉ देबाशीष सान्याल एवं भिलाई इस्पात संयंत्र की महाप्रबंधक श्रीमती बोन्या मुखर्जी थे। कार्यक्रम के अध्यक्ष द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) की भिलाई शाखा के चेयरमैन श्री पुनीत चौबे थे।

अतिथि वक्ता प्रोफेसर देबाशीष सान्याल ने हरित आवास एवं आवासीय क्षेत्र में सतत जीवन हेतु ऊर्जा दक्षता विषय पर अपना उद्बोधन दिया। डॉ देबाशीष सान्याल ने अपने प्रस्तुतिकरण के प्रारंभ में कहा कि उद्योग जगत और आवासीय क्षेत्र विश्व की ऊर्जा खपत के दो प्रमुख क्षेत्र हैं इसलिए आवासीय क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता एक अत्यंत महत्वपूर्ण कारक है। उन्होंने ग्रीन बिल्डिंग तकनीक के माध्यम से आवासीय भवनों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ाने के उपायों की चर्चा की। श्री सान्याल ने वर्तमान में प्रचलित भवन निर्माण पद्धति और निर्माण सामग्री के उत्पादन से उत्सर्जित कार्बन और प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ रहे दबाव के बारे में जानकारी दी।

डॉ सान्याल ने पुरानी पद्धति के वातानुकूलन संयंत्रों, खराब इंसुलेशन और अप्रभावी प्रकाश व्यवस्था से ऊर्जा के अपव्यय के बारे में ध्यान आकृष्ट किया। श्री सान्याल ने हरित आवास की अवधारणा के माध्यम से नेट जीरो ऊर्जा के लक्ष्य की प्राप्ति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हरित आवास में ऊर्जा और पर्यावरण मित्र निर्माण सामग्री, प्राकृतिक प्रकाश व्यवस्था, नेचुरल वेंटिलेशन, नवीकरणीय ऊर्जा, शुद्ध जल एवं खराब जल का प्रबंधन को अपनाया जाता है जिससे ऊर्जा की खपत प्रचलित पद्धति से बहुत कम हो जाती है। श्री देवाशीष सान्याल ने ऊर्जा दक्ष हरित भवन के पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक लाभ पर चर्चा करते हुए बताया कि इन भवनों की बेहतर संरचना की वजह से बिजली की खपत कम होती है, कचरे और जल को की रिसाइक्लिंग और अनुकूल जल के उपयोग से आर्थिक बचत के साथ साथ मानव स्वास्थ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है । उन्होंने ऊर्जा दक्ष हरित भवनों की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियों के बेहतर स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक लाभ को दृष्टिगत रखते हुए हमें आज से ही इस दिशा में प्रयास करने चाहिए।

 

अतिथि वक्ता श्रीमती बोन्या मुखर्जी, महाप्रबंधक सेल भिलाई इस्पात संयंत्र ने ऊर्जा, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर अपने प्रस्तुतिकरण का आरंभ मानवता के आरम्भ में ऊर्जा के प्रथम कारक अग्नि और उसकी मानव जाति के अस्तित्व को बढ़ाने में रही भूमिका से किया। उन्होंने कहा कि अग्नि के माध्यम से प्रारंभिक मनुष्यो ने पका हुआ भोजन बनाया जो आसानी से पच सकता था, औजार बनाए, हथियार बनाए जो उस काल में उनकी प्रगति और सुरक्षा के लिए आवश्यक थे। श्रीमती मुखर्जी ने मानव सभ्यता के विकास यात्रा के प्रारंभ में कोयले की खोज और उसके द्वारा बेहतर औजार का निर्माण और अठारहवीं शताब्दी में औद्योगिकरण के शुरुआत तक क्रमवार प्रगति की जानकारी साझा की। उन्होंने बिजली और तेल की उत्पत्ति से दूसरी औद्योगिक क्रांति का आरंभ, धातु आधारित उद्योगों की स्थापना और एक नई सामाजिक आर्थिक व्यवस्था के अभ्युदय के साथ ही आर्थिक वैश्वीकरण के प्रारंभ का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। श्रीमती बोन्या मुखर्जी ने तीसरी औद्योगिक क्रांति जिसमें कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत और न्यूक्लियर ऊर्जा के उपयोग से मानव सभ्यता की विकास यात्रा में हुए परिवर्तन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस काल में ऊर्जा के अंधाधुंध उपयोग के प्रति जागरूकता और ऊर्जा संरक्षण की दिशा में सकारात्मक प्रयास प्रारंभ हुए। श्रीमती मुखर्जी ने बताया कि चौथे औद्योगिक क्रांति में इंटरनेट और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग की शुरुआत हुई और पृथ्वी और मानव जाति को बचाने हेतु ऊर्जा के सीमित उपयोग और उसके संरक्षण पर बेहतर काम प्रारंभ हुआ तथा ऊर्जा के असीमित उपयोग से जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय दुष्प्रभाव को रोकने की दिशा में गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने अठारहवीं शताब्दी से आबादी के विस्तार, जी डी पी और उससे ऊर्जा की खपत में हुई वृद्धि को क्रमवार समझाया। श्रीमती मुखर्जी ने उद्योगों में ऊर्जा दक्षता हेतु उत्पादन प्रक्रिया में सुधार, वेस्ट एनर्जी के उपयोग, ऑटोमेशन,कच्चे उत्पाद के बेनिफिशिएशन आदि प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने ऊर्जा खपत और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को ग्राफ के माध्यम से समझाया। श्रीमती बोन्या मुखर्जी ने कहा कि पांचवीं औद्योगिक क्रांति में हम कार्बन की कम मात्रा वाली ऊर्जा की ओर जा रहे हैं जो कि मानवता और पृथ्वी को बचाने हेतु बहुत आवश्यक है।

द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया भिलाई शाखा के चेयरमैन श्री पुनीत चौबे ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण का मतलब ऊर्जा के उपयोग को कम करना नहीं है अपितु उसको अनुकूल और जरूरत अनुसार उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि ऊर्जा संरक्षण की दिशा में हम ऊर्जा के अपव्यय को रोकें और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने की दिशा में सकारात्मक प्रयास करें।
संस्था के मान सेवी सचिव श्री बसंत साहू ने स्वागत भाषण में कहा कि ऊर्जा संरक्षण के बारे में जागरूकता और इस दिशा में किया जा प्रयासों के बारे में जानकारी साझा करने हेतु यह परिचर्चा आयोजित की गई है।
इस अवसर पर संस्था के सम्मानित सदस्यगण, भिलाई इस्पात संयंत्र, राज्य शासन, एन टी पी सी के अधिकारी, शासकीय इंजिनियरिंग कॉलेज रायपुर, बी आई टी, रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज, दुर्ग पॉलीटेक्निक के संकाय सदस्य और छात्र उपस्थित थे।