साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने पर गगन गिल ने निर्मल वर्मा को किया याद
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मैं जब तक आई बाहर… एकांत से अपने… बदल चुका था…रंग दुनिया का.’’ इन पंक्तियों को सार्थक करता है हिंदी की प्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका गगन गिल को उनके कविता संग्रह ‘मैं जबतक आई बाहर’ के लिए दिया गया वर्ष 2024 का साहित्य अकादमी पुरस्कार। पेशे से पत्रकार गगन गिल को वर्ष 2024 का साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। गगन गिल को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलना उनकी मेहनत को सार्थक करता है। उन्होंने स्त्री मन की पीड़ा को बहुत ही संतुलित तरीके से कविताओं का रूप दिया और साहित्य जगत में अपनी पहचान बनाई। अब तक उनके पांच काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जबकि गद्य में उल्लेखनीय नाम ”दिल्ली में उनींदे”, ”अवाक” और ”देह की मुंडेर” है।*
*(यह साक्षात्कार प्रभात खबर ने लिया है जिसे हम साभार सहित दे रहे हैं।)*
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शुक्रिया. प्रतिक्रिया क्या कहूं, खुश हूं. कृतज्ञ हूं कि जो लोग एक कोने में बैठे रहते हैं, हमारा समाज उनकी भी गिनती कर लेता है. इससे सुखद संयोग और क्या हो सकता है.
का साहित्य पढ़ती हूं. मुझे ऐसा लगता है कि हिंदी के लेखकों को नोबेल ना मिलने की सबसे बड़ी वजह है अच्छे अनुवादों की कमी. भारतीय भाषाओं के संस्कार अलग हैं, यूरोपीय भाषाओं के संस्कार अलग हैं. मैंने अनुवाद पर भी कुछ काम किया है. इसलिए मैं यह कह सकती हूं कि भारतीय भाषाओं में इतने लेयर्स हैं कि वे यूरोपीय भाषाओं में नहीं आती हैं. यह एक बुनियादी समस्या है. यही वजह है कि हमारे साहित्य का अनुवाद बहुत ही अधकच्चे तरीके से किया गया है. इसलिए अगर पुरस्कारों के बारे में सोचना है, तो प्रकाशकों को अच्छे अनुवादकों की खोज करनी चाहिए. अनुवाद उनसे ही कराना चाहिए, जिसकी वह मातृभाषा हो, जैसे अंग्रेजी में कराना हो तो अंग्रेजी मातृभाषा हो और अगर फ्रेंच में कराना है, तो फ्रेंच ही अनुवादक की मातृभाषा हो।
*(यह साक्षात्कार प्रभात खबर ने लिया है जिसे हम साभार सहित दे रहे हैं।)*