December 12, 2024

भारतीय टीम टेस्ट श्रृंखला में परास्त, जबकि टी-20 में विजयी,उतार-चढ़ाव भरे प्रदर्शन से सब स्तब्ध

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*जसवंत क्लाडियस*
भारतीय क्रिकेट टीम का प्रदर्शन इन दिनों कभी खुशी, कभी गम जैसे दौर से गुजर रहा है। क्रिकट का खेल तीन प्रकार के प्रारूप में खेला जाता है जिसमें एक पांच दिवसीय टेस्ट मैच, दूसरा 50-50 ओवर का एकदिवसीय मुकाबला और तीसरा टी-20 याने 20-20 ओवर के मुकाबले के रूप में होता है। भारत ने टेस्ट मैच में हाल ही में न्यूजीलैंड के विरुद्ध तीन टेस्ट मैच की श्रंृखला खेली जिसमें उन्हें 0-3 की करारी हार का सामना करना पड़ा। यह मुकाबला 2023 से 2025 तक तीसरे विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के अंतर्गत खेला गया। 2019 और 2021 के विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में भारत लगातार दोनों बार फायनल में पहुंचा लेकिन दोनों दफे क्रमश: न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के हाथों हारकर उपविजेता रही। न्यूजीलैंड के हाथों पराजय ने अब भारतीय टीम को लगातार तीसरी बार फायनल में जगह बनाने के लिए मुश्किल में डाल दिया है। फिलहाल टेस्ट मैच के विश्व रेकिंग में भारत को दूसरा, एकदिवसीय तथा टी-20 में पहला स्थान है। इस दृष्टि से टेस्ट मैच में न्यूजीलैंड के हाथों करारी हार ने भारतीय टीम को संकट में डाल दिया है। हमारे टीम के प्रदर्शन से क्रिकेट प्रेमी सदमे में हैं। पंरतु दूसरी तरफ सजती-संवरती भारतीय क्रिकेट की टी-20 टीम ने दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध चार मैच की श्रृंखला में 3-1 से सफलता पाई इससे भारतीय क्रिकेट प्रेमियों में एक बार फिर उत्साह का माहौल बन गया है। खेलकूद में उतार-चढ़ाव होते ही रहते हैं इसलिए उपरोक्त दो श्रृंखला से सबको सबक लेना चाहिए। जीत पर ज्यादा उत्साह और पीट जाने पर बहुत निराश नहीं होना चाहिए। एक उल्लेखनीय तथ्य यह है कि भारत एकदिवसीय में 1983 तथा 2011 जबकि टी-20 में 2008 तथा 2024 में विश्व विजेता का खिताब जीत चुका है जबकि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में दो बार फायनल में पहुंचकर विश्व विजेता नहीं बन सका है। भारत में क्रिकेट के प्रशासकजिस टीम को सुनियोजित ढंग से तैयार कर रहे हैं। अब देखिए जिस टी-20 टीम ने दक्षिण अफ्रीका में जाकर वहां की टीम को धूल चटाई है उसमें नये खिलाडिय़ों की भरमार है। इस टीम में अधिकांश ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग क्रिकेट स्पर्धा में शामिल होकर अपनी पहचान बनाई और अपने आपको भारतीय टीम में शामिल किए जाने लायक साबित किया। वस्तुत: इस टीम में फुर्तीले और तेजतर्रार हिट मारने वाले खिलाड़ी हैं। इसमें से टेस्ट मैच में स्थान बनाने की क्षमता रखने वालों में सिर्फ कप्तान सूर्यकुमार यादव, विकेट कीपर संजू सैमसन, हार्दिक पांड्या, अक्षर पटेल, अर्शदीप सिंह ही है। दूसरी तरफ टेस्ट मैच पांच दिवसीय होने के कारण धैर्यवान, मजबूत तकनीक तथा मानसिक रूप से अधिक परिपक्व खिलाड़ी की मांग करता है। न्यूजीलैंड के विरुद्ध हमारे खिलाड़ी फिसड्डी साबित हुए क्योंकि खिलाड़ी टी-20 और एक दिवसीय मैच के खिलाड़ी जैसे होने का व्यवहार कर रहे थे। इसके लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पदाधिकारी भी जिम्मेदार हैं। इन्हीं खिलाडिय़ों से तीनों प्रारूप के मैच खेले जा रहे थे चूंकि एक दिवसीय और टी-20 प्रारूप के मैच अधिक हो रहे थे जिसमें इंडियन प्रीमियर लीग जैसा 20-20 ओवर वाला लोकप्रिय चैंपियनशिप शामिल था। अत: हमारे खिलाड़ी टेस्ट मैच के गुण-दोष को भुला बैठे। जिसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है। भारत ने जिस विश्व स्पर्धा को नहीं जीता दो बार उसके फायनल में पहुंचने के बाद अब तीसरी बार फायनल में जगह बनाने के लिए आस्ट्रेलिया जैसी टीम को पांच में से चार टेस्ट में पराजित करने की चुनौती मिल गई है। दक्षिण अफ्रीका में नई शक्ल लेती हमारी टीम की शानदार सफलता ने आस्ट्रेलियाई दौरे में हमारी टेस्ट टीम के लिए संजीवनी दे दिया है। कुल मिलाकर हमें यह मानकर चलना होगा कि एक जय या पराजय से सबक लेने के लिए बहुत कुछ मिल जाता है जिसके लिए खेल प्रशासक हो, खिलाड़ी हो या खेल प्रेमी सभी को तैयार रहना चाहिए तथा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खेल भावना की जीत से बढ़कर कुछ नहीं होता।