अगर सचिन देव बर्मन जिंदा होते तो किशोर कुमार जिंदा न रह पाते!
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*संजय दुबे*
हिंदी फिल्मों में गाने उतने ही अनिवार्य है, जितने नायक और नायिका। इन नायक नायिकाओ के लिए गाने तब भी अनिवार्य थे जब फिल्मे बनना शुरू हुई थी ।गानों की प्रासंगिकता आज भी है वक्त के साथ भावार्थ बदले है लेकिन गाने आज भी सदाबहार है इसका प्रमाण ये भी है अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने वाली पीढ़ी भी गुनगुनाती तो हिंदी गाना ही है।हिंदी दिवस के समय मेरे एक परिचित ने ध्यान दिलाया था कि हिंदी भाषा के प्रसार प्रचार में हिंदी फिल्मी गानों का भी अहम योगदान है
हिंदी गानों में पुरुषो के लिए कुंदन लाल सहगल से लेकर अरिजीत सिंह जैसे गायकों की लंबी फेरहिस्त है। मुकेश, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार तीन ऐसे गायक रहे जिन्होने पांच दशक तक नायकों को आवाज देते रहे। कुछ गायक कुछ नायकों के लिए ऐसे पर्याय बने कि परदे पर नायक ही गाते दिखते महसूस होते थे। खंडवा वाले किशोर कुमार भी स्थापित गायक थे जिन्होंने देवानंद, राजेश खन्ना ,अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर के लिए असंख्य गाने गाए।
गायकों के लिए संगीतकार भी बहुत मायने रखते है। भारतीय फिल्म उद्योग में सचिन देव बर्मन ऐसे संगीतकार थे जिनकी पहली पसंद मो रफी हुआ करती थी। “आराधना” फिल्म के पहले सचिन देव बर्मन अस्वस्थ हुए और उनके बेटे आर डी बर्मन ने काम सम्हाला। सचिन देव बर्मन आराधना फिल्म का एक गाना “गुनगुना रहे भौरे खिल रही कली कली,और बागो में बहार है” मो रफी से रिकॉर्ड करा चुके थे। आर डी बर्मन,किशोर कुमार के अभिन्न मित्र थे। आराधना के गाने मेरे सपनो की रानी कब आयेगी तू, रूप तेरा मस्ताना, कोरा कागज था ये मन मेरा, किशोर कुमार से गवाया गया। राजेश खन्ना , अराधना और किशोर कुमार तीनों जब्दस्त सफल हुए। कालांतर में राजेश खन्ना के लिए गानों में आवाज किशोर कुमार की ही प्रमुख रही। राजेश खन्ना से पहले किशोर कुमार,देवानंद की आवाज हुआ करते थे। देवानंद पर अभिनीत जितने भी गाने है उनमें अधिकांश में पार्श्व गायक किशोर कुमार ही रहे। जॉनी मेरा नाम का पल भर के लिए कोई हमे प्यार कर ले,या देश परदेश का नजराना भेजा किसी ने प्यार का सुन लीजिए।
देवानंद और राजेश खन्ना युग की समाप्ति के साथ दो कलाकार का उदय हुआ अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर का।किशोर कुमार इन दोनो के साथ भी खूब जमे। अमिताभ के लिए याराना का सारा जमाना हसीनो का दीवाना, या नमक हलाल का पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी सुन लीजिए। ऋषि कपूर के लिए भी पहले शेलेंद्र सिंह ने गाने गाए लेकिन कर्ज फिल्म में मेरी उमर के नौजवानों दिल न लगाना ओ दीवानों , और कभी कभी में तेरे चेहरे से नजर नहीं हटती नजारे हम क्या देखे , सुनकर देख लीजिए।
किशोर कुमार ने जब भी नीचे स्वर में गाया तो वे गीत बेमिसाल रहे, मेरी जिंदगी ने मुझ पर एहसान क्या किया है(दो और दो पांच), छू कर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा सुन कर देख लीजिए आनंद आ जायेगा।
आर डी बर्मन,किशोर कुमार को कितना चाहते थे इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की 563गाने किशोर कुमार से ही गवाया। किशोर कुमार ने 2700गाने गाए।जिनमे हिंदी छोड़ असमिया,मराठी,बंगाली, गुजराती, कन्नड,तेलगु, तमिल, भोजपुरी भाषा भी शामिल है।
किशोर कुमार का एक गाना पांच रुप्पिया बारह आना, का किस्सा भी रोचक है। इंदौर में कालेज पढ़ने के दौरान केंटीन में उधारी पान रुप्पियां बारह आने की हो गई थी।उस जमाने में चार आने की उधारी बड़ी होती थी।केंटीन वाले ने किशोर कुमार से उधारी की आर राशि मांगी तो किशोर कुमार ने गा कर चुका दिए।
किशोर कुमार को गए 47साल हो गए है लेकिन उनकी आवाज यू ही सुनाई देती है -ए हे,ए हे,ए हे,आहा,आहा, हा,आहा, कोरा कागज़ था ये मन मेरा