एनआईटी रायपुर में मनाया गया विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस
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रायपुर। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर में 10 अक्टूबर 2024 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एनआईटी रायपुर की निदेशक (प्रभारी ) डॉ. ए.बी सोनी रही। इस कार्यक्रम में ह्यूमैनिटीज एवं सोशल साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ समीर बाजपाई और साइकोलॉजिकल काउंसलर डॉ हीना चावड़ा उपस्थित रही। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे जागरूकता फैलाना था. एवं डिप्रेशन और नकारात्मक विचारों से कैसे स्वयं को सुरक्षित रखना हैं यह जानकारी प्रदान करना था. जिससे छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य बिल्कुल अच्छा रहे और वे डिप्रेशन से दूर रह सके।
कार्यक्रम में बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र मौजूद रहे और मूल्य शिक्षा क्लास के महत्व को बताया की यह कैसे मानसिक रुप से स्वास्थ्य रहने मे मदद करती हैं. इस पर अपने विचार प्रस्तुत किए । इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष की छात्रा तृप्ति पटेल ने एक कविता प्रस्तुत की और छात्रों को डिप्रेशन से दूर रहने के बारे में मोटिवेट किया । शुयस, स्नेहिल, भविष्य, प्रकाश, समीक्षा ने मूल्य शिक्षा क्लास के महत्व को बताते हुए मानसिक स्वास्थ्य पर अपने विचार प्रस्तुत किये।
एनआईटी रायपुर की साइकोलॉजिकल काउंसलर एवं मूल्य शिक्षा की अध्यापिका डा. हीना चावड़ा ने छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बताया। उन्होंने छात्रों को बताया कि हमें नकारात्मक विचारों से कैसे दूर रहना चाहिए हम प्रतिदिन अपने शरीर कपड़े की सफाई का ख्याल रखते हैं उसी तरह हमें अपने नकारात्मक विचारों को भी कैसे दूर रखना हैं यह तकनीक उन्होंने बताई
और हमें कभी भी आत्म संदेह नहीं करना चहिए। उन्होंने कहा कि अतीत और भविष्य के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए क्योंकि यह डिप्रेशन लाता हैं। उन्होंने बताया की हमें अपने विचारो और भावनाओं को दूसरों (परिवार , दोस्तों और काउंसलर )के साथ साझा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुख का मूल कारण पैसे और समझ की कमी और रिश्तों मे शिकायतों का आना है। जिन्हे सही समझ से दूर कर सकते हैं उन्होंने कहा कि मनुष्य तीन तरीकों से खुश रहने की कोशिश करते हैं – रुचि-आधारित, मूल्य-आधारित, और लक्ष्य-आधारित, जिसमे हमें रुची आधारित अर्थात संवेदना आधारित को सही समझ से नियंत्रण करना हैं,अच्छी मानसिकता को बदलने के लिए हमें संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी को अपनाना होगा। उन्होंने बताया की डिप्रेशन से अगर खुद को दूर रखना है तो हमें अपने विचारो को एक दूसरे के साथ साझा करना चाहिए और वर्तमान में जीना चाहिए।उन्होंने मानवीय नौ मूल्यों के महत्व,आत्मविश्वास के महत्व और दूसरों का सम्मान करने के बारे में बताया ।
डॉ ए .बी सोनी ने हीना चावड़ा को उनके सत्र के लिए धन्यवाद दिया और कहा, “जीवन एक गुलाबों की टोकरी है”। रामायण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि श्री रामचंद्र जी ने एक धोबी के कहने पर सीता माता को छोड़ दिया था जिससे सिद्ध होता है कि मनुष्य जीवन बहुत कठिन है और ये आम जन की समस्याएं मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने विचारों को एक दूसरे से साझा करना चाहिए और व्यक्तित्व के उत्तम निर्माण के लिए उनमें नैतिक मूल्यों का होना आवश्यक है ।
डॉ समीर बाजपेयी ने कहा कि सफलता खुशी और समृद्धि से मिलकर बनी है। उन्होंने छात्रों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र में भाग लिया और उन्हें जीवन के मूल्यों की जानकारी दी।उन्होंने कहा कि अच्छे प्लेसमेंट के लिए वर्तमान समय में सॉफ्ट स्किल्स का होना जरूरी है। उन्होंने व्यक्तित्व विकास के लिए अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स,लीडरशिप क्वालिटी और प्रकृति के योगदान के बारे में भी बात की।
इसके बाद के सत्र में डॉ हीना चावड़ा ने ओवरथिंकिंग पर आधारित सत्र लिए , जिसमें उन्होंने बताया कि ओवरथिंकिंग से बचने के लिए हमें वर्तमान समय के लिए खुश रहना चाहिए उन्होंने कहा कि पुराने समय में होने वाले बुरे विचारों को आप वर्तमान पर हावी न होने दे इसके लिए उन्होंने letgo करने की निर्देशित ध्यान की तकनीक सिखाई जिससे नकारात्मक विचार और अतीत के दर्द को डिलीट कर पाए और वर्तमान समय में स्वयं का परिवार का प्रकृति का आनंद ले।
इसके बाद उन्होंने ओवरथिंकिंग और अवसाद से बचने के लिए एक विशेष ध्यान सत्र आयोजित किया। इस सत्र के द्वारा उन्होंने स्वयं के मन के नकारात्मक विचारों को को साफ करने के तरीके बताए और कृतज्ञता भाव दूसरों की गलतियों को माफ करने की समझ भी बताये और जिसका सभी विद्यार्थियों ने लाभ लिया।
इसके बाद डॉ समीर बाजपेयी ने छात्रों के साथ एक इंटरएक्टिव सत्र लिया जिसमें उन्होंने बताया कि आजकल के समय में सॉफ्ट स्किल होना बहुत जरूरी है ।उन्होंने ये भी बताया कि कुछ कमियों की वजह से हम लोग केवल प्रोफेशनल स्किल पर ध्यान दे पाते हैं और सॉफ्ट स्किल पर काम नहीं है कर पाते है। वर्तमान समय सॉफ्ट स्किल्स पर ज्यादा फोकस कर रहा है और हमको इन स्किल्स को प्रचलन में लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जितनी ज्यादा आप सॉफ्ट स्किल्स की प्रैक्टिस करेंगे उतना ही उसमें आप निपुण हो पाएंगे ।अंत में राष्ट्रगान के गायन और डॉ हीना चावड़ा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।