शतरंज में विश्व विजेता बनाने वालों को प्रोत्साहन की जरूरत क्यों है इस विजय को लेकर खेल जगत में चुप्पी?

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*जसवंत क्लाडियस *
15 अगस्त 1947 को मिली स्वतंत्रता के पश्चात भारत को खेलों की दुनिया में अब तक चार टीम खेल स्पर्धाओं इसमें क्रिकेट, कबड्डी, शतरंज में विश्व विजेता बनने का गौरव प्राप्त है। सबसे पहले 1975 में हाकी में,1983 में क्रिकेट के एक दिवसीय मुकाबले में फिर कबड्डी के स्टेडर्ड स्टाइल में 2004 में यह करामात हमारे देश के पुरुष खिलाडिय़ों ने किया। इसके पश्चात कबड्डी के स्टेडर्ड स्टाइल में 2007,2016 में फिर कबड्डी के ही सर्किल स्टाइल में भारतीय पुरुष टीम ने 2010 से 2014 फिर 2016 में कुल मिलाकर नौ बार विश्व कप जीता। इसी तरह 2013,2014,2016 में कबड्डी के सर्किल स्टाइल में भारत की महिला टीम विश्व चैंपियन बनी। क्रिकेट में भारतीय पुरुष टीम 2007 में टी-20 में पहली बार फिर 2024 में दूसरी बार विश्व चैंपियन बनीं। इसके बाद 2011 में एक दिवसीय स्पर्धा में भारतीय पुरुष टीम विश्व विजेता बनी और अब सितंबर 2024 में भारत की महिला के साथ ही पुरुष याने दोनों टीम एक साथ शतरंज की विश्व चैंपियन बनी। भारतीय खिलाडिय़ों की उपरोक्त चार टीम खेल में विश्व विजेता बनना अविस्मरणीय है। सभी खेलों के खिलाड़ी बधाई के पात्र हैं लेकिन अब हम देखेंगे कि कौन से खेल में कितने देशों के शामिल होने पर विश्व विजेता बनने का अवसर मिला।
1975 में कप्तान अजीत पाल सिंह के नेतृत्व में भारत हाकी के तीसरे विश्वकप में विजेता रही थी। इस टूर्नामेंट में संसार के 39 देशों के बीच चैंपियन बनने के लिए मुकाबला हुआ था। भारतीय क्रिकेट टीम पहली बार 1983 में एक दिवसीय प्रारूप में कपिलदेव के नेतृत्व में विश्व चैंपियन बनी तब सिर्फ 8 टीम ने इस स्पर्धा में भाग लिया था। इसके अलावा 28 वर्ष बाद फिर से 2011 में भारतीय टीम कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के नेतृत्व में चैंपियन बनी। भारतीय क्रिकेट टीम ने 2007 में महेन्द्र सिंह धोनी के नेतृत्व टी-20 विश्वकप जीता तब क्वालीफायर 113 देशों की टीम ने भाग लिया था। इसी तरह 2024 में रोहित शर्मा के नेतृत्व में क्वालीफायर 81 टीमों के बीच भारतीय क्रिकेट टीम विश्व विजेता बनी।
इसी प्रकार कबड्डी के स्टेंडर्ड स्टाईल में 2004 में भारतीय कप्तान संजीव कुमार के नेतृत्व में भारत ने पहला विश्वकप जीता। इसमें दुनिया के 12 टीम के बीच संघर्ष हुआ। 2007 में कबड्डी के स्टेंडर्ड स्टाइल ने 16 देश चैंपियन बनने के लिए प्रयास किया परंतु राकेश कुमार के नेतृत्व में भारत ने लगातार दूसरा विश्वकप जीता। 2016 में कप्तान अनुपकुमार के नेतृत्व में भारत 12 देशों की टीम के बीच विश्व विजेता बनी। इसी तरह पहली बार आयोजित सर्किल स्टाइल विश्वकप कबड्डी प्रतियोगिता में 2010 में कप्तान मंगल सिंह मंगा की अगुवाई में 9 देशों की टीम के बीच में से भारत विजेता बनी। 2011 में 14, 2012 में 16, 2013 में पुरुष वर्ग की 11, महिला वर्ग की 08,टीम ने भाग लिया और चैंपियन बनी। 2014 में 11 पुरुषों की तथा महिलाओं की 08 टीम में से दोनों ही वर्गों में भारत विश्व विजेता बनी। इसी तरह 2016 में सर्किल स्टाईल कबड्डी विश्वकप प्रतियोगिता में पुरुषों की 12 तथा महिलाओं की 08 टीम में भारत एक बार फिर से दुनिया की सिरमौर बनी।
अब दूसरी तरफ शतरंज के 45 वें शतरंज ओलंपियाड 2024 में भारत की पुरुष टीम संसार की 188 देशों की टीम में से जबकि महिलाओं की 169 देशों की टीम में से विश्व विजेता बनी है। इस प्रकार तुलनात्माक दृष्टि से हाकी, क्रिकेट, कबड्डी के मुकाबले शतरंज में मिली सफलता अधिक महत्वपूर्ण है। इससे पहले भी भारत 2014 में पुरुष शतरंज टीम और 2022 में महिला-पुरुष दोनों वर्गों में कांस्य पदक जीत चुकी है।
2024 में शतरंज में मिली ऐतिहासिक सफलता की वजह हमारे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था को शतरंज के माध्यम से इस देश के लिए समर्पित कर दिया। पुरुषों की 188 देशों साथ ही महिलाओं की 169 देशों में प्रथम स्थान पाकर स्वर्ण पदक जीतना सिर्फ हमारे खिलाडिय़ों के कठिन परिश्रम, लगातार अभ्यास, संयमित जीवन और गहन प्रशिक्षण के द्वारा ही संभव हुआ है।
खेलकूद में प्रत्येक खेल का अपना महत्व है। भारत का किसी खेल में विश्व विजेता बनना बड़ी बात है लेकिन शतरंज के खेल में अत्यंत कड़े संघर्ष में बाद 188 देशों के खिलाडिय़ों में ओपन वर्ग (पुरुष वर्ग) जबकि 169 देशों की महिला टीम में विश्व विजेता होना असाधारण उपलब्धि है। ऐसे भी पिछले दिनों अन्य खेलों की तुलना में शतरंज खेल की इस उपलब्धि को लेकर हमारे देश में खुशियों की लहर या उत्साह की गर्मजोशी नहीं दिखी यह परिस्थिति हमें सोचने पर मजबूत करता है कि कहीं हम अपने ही देश में जन्म लिए खेल की उपेक्षा तो नहीं कर रहे हैं? क्या अब खेल का मतलब सिर्फ धन अर्जित करना या फिर उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने वाले विदेशी खेलों को बढ़ावा देना है।शतरंज की उपलब्धि को भारत के घर-घर तक पहुंचाने का लाभ सिर्फ शतरंज को नहीं वरण हमारे देश में खेलकूद का सकारात्मक वातावरण बनाने में सहायक होगा।