September 19, 2024

इतकल गांव में अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी थीं कि पूरा गांव ही हत्यारा बन बैठा

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00 हत्याकांड के बाद 5 आरोपियों ने थाने में समर्पण कर बोले अब यह गांव आपदा से मुक्त हो जाएगा
सुकमा। जिले के कोंटा मुख्यालय से दस किमी दूर सलवा जुड़ूम आंदोलन के बाद बसे मुरलीगुड़ा पंचायत के इतकल गांव में अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी थीं कि पूरा गांव ही हत्यारा बन बैठा। रविवार को इस गांव में राज्य पुलिस बल में पदस्थ प्रधान आरक्षक मौसम बुच्चा, उनके माता-पिता, पत्नी व बहन सहित पांच सदस्य की हत्या ग्रामीणों ने ही मिलकर कर दी। रविवार की सुबह गांव के लोगों के बीच बैठक में यह तय हुआ कि इस परिवार को ही खत्म कर देना है। इसके बाद गांव के सैकड़ों लोगों ने पूरे परिवार को जान से मार डाला। इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड के बाद भी ग्रामीणों के मन में किसी बात का कोई रंज नहीं है। कुछ ग्रामीण हत्या के बाद साक्ष्य के साथ समर्पण करने कोंटा थाना पहुंचे थे। बुच्चा के घर में मातम पसरा हुआ था, बुच्चा की बहन रवली व ममेरी बहन नागी दहाड़े मार कर विलाप कर रही थी, गांव में पुलिस बल का पहरा था। ग्रामीण अभी भी इस घर से दूरी बनाए हुए थे। गांव के भीतर हत्याकांड के बाद कोई शोक दिखाई नहीं दिया। इस गांव के ग्रामीणों को यह भरोसा था कि अब यह गांव आपदा से मुक्त हो जाएगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस ने केवल 5 ग्रामीणों को आरोपी बनाकर उन्हें गिरफ्तार किया है, जबकि मृतक जवान के बच्चों ने बताया कि गांव के सभी लोगों की भीड़ उनके घर की तरफ बढऩे लगी, सभी के पास लाठी-डंडे मौजूद थे। उन्होंने घर के सामने आकर पहले मृतकों से बहस की, इसके बाद जब डीआरजी में हेड कांस्टेबल पिता पहुंचे तो सभी ग्रामीणों ने एका-एक सभी पर हमला करते हुए ताबड़तोड़ लाठी-डंडे बरसाना शुरू कर दिया। जब तक उन्हें संभलने का मौका मिलता, सभी की मौत हो चुकी थी। दोनों बच्चों ने बताया कि वे हर ग्रामीण को पहचानते हैं, जो उनके घर पर पहुंचकर उनके परिजनों की हत्या में शामिल थे।
उल्लेखनिय है कि दोरला जनजाति बहुल 36 परिवार की इस बस्ती की जनसंख्या लगभग 150 है। गांव में पिछले दो वर्ष से ग्रामीणों की आकस्मिक मृत्यु हो रही थी। ग्रामीणों ने बताया कि कि दो वर्ष में लगभग 30 लोगों की बीमारी व अन्य कारण से मृत्यु हुई है। इसमें भी वर्ष 2023 में अधिकतर लोगों की मृत्यु बुधवार को और 2024 में मंगलवार के दिन हुई। इस हत्याकांड के पहले लगातार तीन मंगलवार को गांव में लोगों की मृत्यु हुई थी। इस कारण गांव के लोगों के मन में धीरे-धीरे मृत्यु का भय बैठना शुरु हो गया था। बुच्चा की माता बीरी गांव में वड्डे (झाड़-फूंक करने वाली) का काम करती थी। गांव में यह अफवाह फैलनी शुरु हो गई कि इस आपदा के पीछे बीरी का हाथ है, वह जादू-टोना कर लोगों को मार रही है। इस कारण से धीरे-धीरे लोगों में आक्रोश बढऩे लगा। इतकल में हुए दर्दनाक हत्याकांड की जड़ में अशिक्षा और अंधविश्वास कारण है। इतकल गांव के अधिकतर लोग अनपढ़ है। पूरे गांव में 25 लोग ही पढ़े-लिखे हैं। गांव में प्राथमिक स्कूल खोला गया है, पर 13 ही बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। पूरे गांव में चार बच्चों ने दसवीं व आठ ने पांचवीं तक की पढ़ाई की है। शिक्षित नहीं होने से वे अपनी समस्या का उपचार जादू-टोने या तंत्र-मंत्र से करने पर भरोसा रखते हैं। यहीं कारण है कि गांव में बीमारी से हो रही मृत्यु के पीछे भी वे तंत्र-मंत्र को जिम्मेदार मान बैठे।