June 24, 2025

डॉक्टरों के त्यागपत्र से शहर के मेडिकल कॉलेज का वजूद खतरे में

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*मेडिकल कॉलेज बिल्डिंग का हो सकता है दूजा उपयोग *

*लक्ष्मण लोहिया*

राजनांदगाँव । संस्कारधानी शहर की पहचान हॉकी, झांकी के अलावा मेडिकल कॉलेज हुआ करती थी, अब सब धीरे-धीरे यह पहचान लुप्त होते जा रही है। हॉकी की नर्सरी सूख गई है आने वाले वर्षों में झांकी भी खत्म होने के कगार पर है।रही बात मेडिकल कॉलेज की तो लगातार डॉक्टरों के त्यागपत्र से यहां अध्ययनरत मेडिकल छात्रों के समक्ष अध्यक्ष की सुविधा मुंह बायें खड़ी है ऐसे में कभी भी नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) मेडिकल कॉलेज की मान्यता समाप्त कर सकती है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि ,कुछ ही वर्षो में संस्कारधानी को मिले सौगात मेडिकल कॉलेज की, जो अब बंद होने की कगार पर है,धीरे-धीरे मेडिकल कॉलेज के सभी डॉक्टर त्यागपत्र देकर नौकरी छोड़ रहे है, बुधवार को कॉलेज के एक डॉक्टर ने अपने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।मेडिकल कॉलेज के पीजी की मान्यता तो खतरे में थी ही अब एमबीबीएस की मान्यता भी खतरे में नजर आ रही है।
शहर के नेता, सिर्फ बाहरी नेताओं के साथ फोटो खिंचवाने तक सिमित रह गए। डॉ रमन सिंह को लगातार चुनाव जितवाकर मुख्यमंत्री तक शहर की जनता ने अपना मत दिया, और आज भी उन्हें ही अपना नेता मानते है, अब वे विधानसभा अध्यक्ष हैं, पिछले 5 साल भी विपक्ष में विधायक रहते डॉ रमन सिंह ने मेडिकल कॉलेज को एमआरआई, और सीटी स्कैन मशीन नही दिलवा पाए, अब निगाहें फिर से शासन पर केंद्रित है  ठोस निर्णय से ही मेडिकल कॉलेज की मान्यता को बचाया जा सकता है अन्यथा यह पूरी तरह बंद हो जायेगा।

गौरतलब है, की इस मेडिकल कॉलेज के रहने से आस-पास के 5 जिलों के अलावा महाराष्ट्र और एमपी के बीमार मरीजों का उपचार यहां हुआ करता था, लोग इस मेडिकल कॉलेज में काफी उम्मीद लेकर इलाज करवाने पहुंचे थे। इस मेडिकल कॉलेज के चलते बहुत से लोगों को नौकरी और रोजगार भी मिला है। अब सब फिर से बेरोजगार हो जायेगें।
शहर के नेता तो अपने आप को वरिष्ठ बताकर आये दिन टीवी चैनलों और सोशल मीडिया में राजनीतिक बयानबाज़ी करते हैं लेकिन मेडिकल कॉलेज को बंद होने से कैसे रोका जाये इस पर कोई अपना न तो विचार व्यक्त करते हैं और न ही आगे आकर कार्य करना चाहते हैं।