September 21, 2024

मस्जिदों में एतकाफ पर बैठ शहरभर के लिए कर रहे दुआएं

1 min read
Share this

*रमजान महीने के आखिरी हिस्से में शहर की हर मस्जिद में इबादत कर रहे मोतकिफ*

भिलाई। रमजान मुबारक महीना का आखिरी अशरा (दस दिन) जारी है, जो 21वी शब से शुरू हो जाता है। इस दौरान मस्जिदों में एतकाफ पर रोजेदार बैठते हैं। शहर की तमाम मस्जिदों में अमूमन 2 या 2 से ज्यादा लोग एतकाफ पर बैठते हैं, जो शहर में अमन व सलामती के लिए दुआएं करते हैं और मस्जिद में रह कर ही इबादत करते है।
इस बारे में शेखुल हदीस हज़रत मौलाना जकरिया रहमतुल्लाहि ने अपने रिसाले फजाइले रमजान में एतेकाफ की हदीसो को जमा करके उनके फायदे लिखे हैं। मौलाना जकरिया कहते हैं कि मोतकिफ (एतेकाफ में बैठने वाले) की मिसाल एैसी है कोई शख्स किसी के दर पर जा पडे जब तक उसकी दरख्वास्त कुबूल ना हो ना  हटे, मोतकिफ अल्लाह को राजी करने बैठ रहा है। इब्ने कासिम रहमतुल्लाहि कहते हैं बैठने वाला अल्लाह की पाक जात से अपने आप को जोड़ कर रखे। दुनिया से जहन हटा कर ऐसी याद व ज़िक्र में खो जाए कि उसकी मोहब्बत में वो उसको पा ले।दारुल कजा के मुफ्ती मो सोहेल ने बताया कि इसके कुछ आदाब है। एतिकाफ में बैठने वाले को यह ख्याल रखना है कि मस्जिद के एक हिस्से या मस्जिद के हद से बाहर ना निकले। नमाज़ के समय पर जमात से नमाज पढ़े। दीन के अलावा दुनियावी बातें ना करें। ज्यादा वक्त तिलावते कुरआन,नफिल नमाज़ ओर जिक्र अजकार में लगाए।कुछ देर आराम भी करें। कोशिश करें तहज्जुद की नमाज जरूर पढ़ें। एतकाफ के लिए मोहल्ले से एक शख्स के भी बैठ जाने से सबकी तरफ हो जाएगा। इसलिए उसको चाहिए कि वो सबके तरफ अल्लाह को मनाने बैठा है। मरकजी मस्जिद पावर हाउस कैंप 2 मदरसा जामिया अरबिया भिलाई के इमाम हाफिज कासिम और मस्जिद आयशा हाउसिंग बोर्ड के इमाम मौलाना फैसल अमीन ने बताया कि औरतें भी रमजान माह में आखिरी अशरा में अपने घरों में ऐतेकाफ कर सकती हैं शर्त यह घर पर जहां नमाज़ पढ़ने की जगह हो वहां बैठकर या घर के किसी कोने पर बैठे ओर इबादत में मशगूल रहे। उस जगह से कहीं जाना आना ना करें तस्बीह, तिलावते कुरआन, नफिल नमाज़, फ़र्ज़ नमाज़, खाना सभी उसी जगह करें।