भ्रामक विज्ञापन पर पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में हलफना देकर मांगी माफी

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नई दिल्ली। पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन मामले में दिए गए अपने पुराने बयानों पर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली है। हलफनामे के जरिए कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने भ्रामक विज्ञापनों पर खेद जताया, इसके साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे विज्ञापन भविष्य में जारी ना हों।

उल्लेखनीय है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा बाबा रामदेव पर कोविड रोधी टीकाकरण अभियान और एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ मुहीम चलाये जाने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।जिस पर सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ता हिमालय कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानवीयता की युगल पीठ सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने पतंजलि और एमडी आचार्य बालकृष्ण द्वारा कोर्ट की जारी नोटिस को अनदेखा किये जाने पर सख्त रवैय्या अपनाते हुए इसे कोर्ट की अवमानना मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू किये जाने की बात कही जिसके बाद पतंजलि ने अपने पुराने बयानों के लिए सुप्रीम कोर्ट (SC) से बिना शर्त माफी मांग ली है. पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि उन्हें कंपनी के ‘अपमानजनक वाक्यों’ वाले विज्ञापन पर खेद है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ​​नोटिस का जवाब नहीं देने पर आचार्य बालकृष्ण को 2 अप्रैल को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिये थे। इतना ही नहीं अदालत ने बाबा रामदेव को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर 2 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा ।कंपनी के एमडी बालकृष्ण ने हलफनामे में कहा है कि नवंबर 2023 के बाद जारी किए गए विज्ञापनों का उद्देश्य केवल ‘सामान्य बयान’ था, लेकिन उनमें गलती से ‘अपमानजनक वाक्य’ शामिल हो गए। उन्होंने यह भी बताया कि इन विज्ञापनों को पतंजलि के मीडिया विभाग ने मंजूरी दी थी, जो नवंबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अनजान था।

हलफनामे के जरिए आचार्य बालकृष्ण ने भ्रामक विज्ञापनों पर खेद जताया. इसके साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे विज्ञापन भविष्य में जारी ना हों। साथ ही कंपनी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए बताया है कि इसका इरादा पूरी तरह से देश के नागरिकों को पतंजलि उत्पादों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।