महाराष्ट्र मंडल के हल्दी- कुमकुम में रामोत्सव की धूम
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*फैंसी ड्रेस स्पर्धा में मंथरा बनी सुलभा रहीं विजेता*
*शबरी के भेष में स्मिता उपविजेता तो केंवट स्वरूप में वैशाली तृतीय*
रायपुर। महाराष्ट्र मंडल में शनिवार की शाम मकर संक्रांति का हल्दी- कुमकुम रामोत्सव के रंग में रंगा रहा। रामायण के विभिन्न पात्रों में सज संवरकर पहुंचीं प्रतिभागी महिलाओं ने एक- दूसरे से आगे निकलने की होड़ दिखाई दी। राम के भजनों की समधुर प्रस्तुतियों से दर्शक भाव विभोर हो गये।
बिलासपुर महाराष्ट्र मंडल की महिलाओं ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई की जीवनी के साथ शिव चरित्र का सुमधुर गायन किया। साथ ही प्रोजेक्टर से बड़े पर्दे पर शिव चरित्र को समझाने का अभिनव प्रयास किया। इस अवसर पर राम के एक से बढ़कर एक भजन गए गए। इनमें से एक भजन पर महिलाओं ने समूह नृत्य कर माहौल को अयोध्यामय बना दिया।
मंडल की महिला प्रमुख विशाखा तोपखानेवाले ने बताया कि फैंसी ड्रेस स्पर्धा में मंथरा के वेश सुलभ विठालकर को निर्णायकों ने विजेता घोषित किया। शबरी के परिधान में स्मिता बल्की ने दूसरा स्थान और केंवट की वेशभूषा में वैशाली पुरोहित ने तीसरा स्थान हासिल किया। त्रिजटा स्वरूप में शोभा जोशी को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। बिंदु- बिंदु (टिपके) वाली परंपरागत रंगोली स्पर्धा में अमृता पुंडलिक सबसे आगे रहीं। आशा वरेवार द्वितीय और राजश्री गायकवाड़ तृतीय स्थान पर रहीं।
महाराष्ट्र मंडल भवन के लाॅन एरिया में रंगोली स्पर्धा आयोजित की गई थी। इसमें चौबे कॉलोनी की चारुशीला देव, वल्लभ नगर की अमृता शेष, टाटीबंध की शिल्पा भोपापुरकर, अमलीडीह की पुष्पा चिलमवार, देवेंद्र नगर की भारती देवरनकर, सरोना की आरती ठोवरे, डंगनिया की रंजना राजिमवाले, बुढ़ापारा की ऋतु लोखंडे, सिविल लाइन की सुनंदा बेंद्रे, शंकर नगर की कल्याणी ढवले और तात्यापारा की अंजलि ने भी रंगों के आकर्षक कांबिनेशन वाली रंगोलियों से खासा प्रभावित किया।
महिला सह प्रमुख अपर्णा देशमुख के मुताबिक इस मौके पर एक से बढ़कर एक चटपटे व्यंजनों और परिधानों, आर्टिफिशियल आर्नामेंट, होम डेकोर सहित विभिन्न सेगमेंट्स के मनभावन स्टॉल लगातार भीड़ खींचते रहे। एक ओर मंडल के संत ज्ञानेश्वर सभागृह में कार्यक्रमों की बहार रही, तो वहीं दूसरी ओर लाॅन एरिया में महिलाओं की भीड़ खरीदारी में व्यस्त थी। हल्दी- कुमकुम के आयोजन में रश्मि गोवर्धन, आस्था काले, नमिता शेष, भारती पलसोदकर सहित विभिन्न केंद्रों की संयोजिका, सह संयोजिकाओं का विशेष योगदान रहा।