ट्रैफिक नियम पर शुरु होना चाहिए पाठ्यक्रम, सड़क दुर्घटनाओं में मौत का सबसे बड़ा कारण है गर्दन की हड्डी – सिब्बल
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00 गुरु गोबिंद की जयंती पर नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर व सड़क सुरक्षा सप्ताह 12 से
रायपुर। सिखों के 10वें गुरु पूज्य गुरु गोबिंद महाराज की जयंती के अवसर पर 12 से 17 जनवरी तक सिब्बल कॉटेज में नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर व सड़क सुरक्षा जागृति अभियान का आयोजन किया गया है। 12 जनवरी को भव्य शोभायात्रा दोपहर को 12 बजे गुरुनानग नगर श्याम नगर से मरीन ड्राइव होते हुए पंडरी गुरुद्वारा तक निकाली जाएगी। इस दौरान ट्रेफिक नियमों का कड़ाई का पालन किया जाएगा। इस शोभायात्रा में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, मुख्यमंत्री विष्णुदेव सा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा. चरणदास महंत शामिल होंगे।
मोहेंद्र सिंघ सिब्बल फाउंडेशन के संचालक व छत्तीसगढ़ मोटर्स स्पोट्र्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सरदार देवेंद्र सिंघ सिब्बल ने पत्रकारवार्ता में कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में मौत का सबसे बड़ा कारण गर्दन की हड्डी है क्योंकि जब यह दुर्घटना होती है तो बाइक सवार सीधे ऊपर उझलकर गिरता है या घसिटाकर इस दौरान उसके गर्दन की हड्डी पर ज्यादा असर होता है और असहनीय दर्द व रक्त प्रसाव के कारण उसकी मौत हो जाती है। भारत में यातायात नियमों पर कानून तो बना है लेकिन इन कानूनों का पालन हो रहा है या नहीं यह देखने वाला कोई नहीं है इसी का नतीजा है कि आज जितनी भी सड़क दुर्घटनाएं हो रही है उनमें युवाओं की ज्यादातर मौत हो रही है क्योंकि वे अपनी बाइक पर नियंत्रण नहीं रख पाते है। उन्हें बस स्पीड से मतलब है, उन्हें हेलमेट पहने से कोई मलतब नहीं है। अगर सामने वाला हेलमेट पहना है तो पीछे वाला नहीं पहना है और सबसे ज्यादा नुकसान पीछे बैठने वाले हो ही होता है क्योंकि सड़क दुर्घटना के दौरान सामने वाले के पास हो बाइक की हैंडिल रहता है लेकिन पीछे बैठने वाले के पास बचाव के लिए किसी भी चीज का सहारा नहीं होता।
उन्होंने कहा कि आज की युवा पीड़ी को बचपन से यातायात नियमों की जानकारी देनी की जरुरत है और इसके लिए वे छत्तीसगढ़ शासन के साथ ही केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि वे अपने वाले सत्र 2024-25 में स्कूली बच्चों के लिए तैयार हो रहे पाठ्यक्रम में यातायात नियमों की जानकारी के लिए अलग से पाठ्यक्रम शुरु करेंगे ताकि वे बचपन से ही इन नियमों को जान और पढ़ सकें। पत्रकारवार्ता में शहीद भाई तारु सिंघ फाउंडेशन के अध्यक्ष सरदार त्रिलोचन सिंघ उपस्थित थे।