दिव्य कला मेला: दिव्यांग उद्यमियों के सामर्थ्य को सशक्त करता एक मंच

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*विशेष आलेख*
*पीएम मोदी का विजन:दिव्य कला मेले से दिव्यांग उद्यमियों को आत्मनिर्भरता की ऊंचाइयों तक ले जाना*


*डॉ. वीरेंद्र कुमार*

एक सशक्त और विकसित राष्ट्र की जब हम संकल्पना करते हैं तो उसमें हर व्यक्ति के सहयोग और श्रम को हम महत्वपूर्ण मानते हैं। राष्ट्र का निर्माण व्यक्तियों के समुच्चय से होता है, तो जाहिर है इसे सशक्त बनाने में सबका सहयोग भी जरूरी है। लेकिन अगर देश का कोई भी एक वर्ग इसमें किसी कारण सहयोग न दे पाए तो एक सशक्त राष्ट्र की संकल्पना अधूरी सी लगती है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस गूढ़ बात को समझा और जाना भी। सशक्त, आत्मनिर्भर राष्ट्र के अपने दृष्टिकोण (विजन) में पीएम मोदी ने देश के हर वर्ग को जोड़ने की बात की और इसी दिशा में उन्होंने देश के 2.68 करोड़ दिव्यांगजनों को आर्थिक, सामाजिक, वैचारिक रूप से समर्थ करने की बात कही। जिसमें केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक कई सारी योजनाओं का निर्माण और कार्यान्वयन मुख्य रहा।
पीएम मोदी के दिव्यांगजनों को सशक्त करने के इस विजन को लेकर ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की दिशा में एक नई कड़ी जोड़ने का कार्य कर रहा है। इस विभाग ने अनेक योजनाओं के माध्यम से दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कठिन पथ पर कदम बढ़ाया है। उनमें से एक महत्वपूर्ण पहल है “दिव्य कला मेला”।

दिव्य कला मेला: सृजन, समर्थन और रोजगार का सर्वोत्तम प्लेटफॉर्म- दिव्य कला मेला एक ऐसी पहल है जो दिव्यांग उद्यमियों और कारीगरों को उनकी कला और उद्यम का प्रदर्शन करने का एक नया मंच प्रदान करता है। इस मेले का आयोजन नई दिल्ली से लेकर देश के विभिन्न शहरों जैसे वाराणसी, भोपाल, मुंबई, गुवाहाटी, इंदौर, जयपुर, सिंकदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, पटना शहरों में हुआ है। भविष्य में सूरत, अहमदाबाद, शिमला, अगरतला, नागपुर शहरों में भी इसका आयोजन किया जाएगा।
दिव्य कला मेले में 100 से ज्यादा स्टॉल्स लगाए जाते हैं, जिनमें हस्तशिल्प, हथकरघा, एम्ब्रोएडरी के काम और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ आदि के स्टॉल्स शामिल हैं । इस मेले के अंतर्गत दिव्यांग उद्यमियों और कारीगरों द्वारा गृह सजावट, जीवन शैली, कपड़े, स्टेशनरी, पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद, पैकेज्ड भोजन, जैविक उत्पाद, खिलौने, उपहार, व्यक्तिगत सहायक उपकरण, आभूषण, बैग्स, पेंटिंग्स, आदि से संबंधित स्टॉल्स लगाकर अपने उत्पादों को बढ़ावा देने का एक अद्वितीय अवसर पाया। दिव्य कला मेले में देशभर के तमाम तरह के व्यंजनों का आनंद लोग ले सकें, उनके बारे में जान सकें, इसके लिए विभिन्न प्रदेशों के प्रमुख खाद्य पदार्थों के कई स्टॉल्स भी लगाए जाते हैं, जो लोगों द्वारा बेहद पसंद भी किये जाते हैं। दिव्य कला मेले में विभिन्न विषयों पर प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया जाता है जिसके माध्यम से विभिन्न प्रकार की जानकारियां लोगों को दी जाती हैं।
रोजगार के अवसर का सृजन करता दिव्य कला मेला- दिव्य कला मेले के तहत उद्यमियों और कारीगरों को अपनी उद्यमशीलता दिखाने का अवसर प्रदान हो रहा है वहीं दूसरी तरफ मेले में लगाए जा रहे जॉब फेयर के तहत बेरोजगार युवक-युवतियों को सरकार द्वारा रोजगार के लिए चलाई गई विभिन्न योजनाओं से अवगत भी कराया जा रहा है। नई दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, वाराणसी, चेन्नई, बेंगलुरु, पटना में लगाए गए दिव्य कला मेले के तहत जॉब फेयर में कुल 917 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया और रजिस्ट्रेशन कराए जिसमें 272 लोगों को इसमे से शॉर्ट लिस्टेड कर 91 लोगों को सेलेक्ट किया गया।
एक मेला अनेक सुविधाएं- लोन की सुविधा- दिव्य कला मेले में NDFDC के तहत लगाए जाने वाले स्वालंबन केंद्र के तहत दिव्यांग व्यक्तियों को लोन की सुविधा भी दी जाती है, जिसका लाभ बहुत सारे दिव्यांग बंधु उठा रहे हैं। एनडीएफडीसी के तहत चेन्नई से सबसे ज्यादा 2 करोड़ 25 लाख रुपए का लोन पारित एवं वितरित किया गया। वहीं वाराणसी में आयोजित दिव्य कला मेला में 1 करोड़ 30 लाख, जयपुर में 1 करोड़, हैदराबाद में 80 लाख रुपए का लोन पारित एवं वितरित किया गया।
लाखों लोगों की पसंद दिव्य कला मेला- नव साहसी दिव्यांगजन उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित दिव्य कला मेला को दिव्यांग व्यक्तियों के साथ- साथ समाज के हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है। दिव्य कला मेले को मिल रहे अपार जनसमर्थन का सबूत है दिल्ली में लगे मेले में 1 लाख लोगों की उपस्थिति, वहीं मुंबई में आयोजित इस मेले में 55 हजार के करीब लोग आए। भोपाल, वाराणसी, हैदराबाद, बेंगलुरु, पटना आदि में भी हजारों लोग मेले में शामिल हुए।
मेले का स्वागत और समर्थन- देशभर में आयोजित होने वाले दिव्य कला मेला सिर्फ दिव्यांगजनों के साथ साथ आम जन द्वारा भी बेहद सराहा और पसंद किया जा रहा है। दिव्य कला मेले में लाखों की संख्या में दिव्यांग और आमजन पहुंचते हैं। दिव्य कला मेले को लेकर लोगों का यह कहना है कि सरकार की तरफ से यह एक बहुत शानदार पहल है इससे न सिर्फ दिव्यांगजनों की उद्यमिता का प्रदर्शन होता है बल्कि वोकल फॉर लोकल के थीम को भी बढ़ावा मिलता है।
*(लेखक भारत सरकार के केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री हैं)*