राह आसान नहीं रमन की, धीमी रफ्तार ही सही, आगे बढ़ रहे गिरीश

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*कहीं दगा न दे जाये अति आत्मविश्वास*

*राजनांदगांव से लक्ष्मण लोहिया की रिपोर्ट *
राजनांदगांव। राजनांदगांव विधानसभा चुनाव 2023 की सबसे अहम सीट माने जाने वाली राजनंदगांव विधानसभा सीट प्रदेश के लिए हमेशा राजनीतिक हल्कों पर अपनी अहमियत बनाकर रखती है। सबसे बड़ी बात यह है कि हमेशा से राजनांदगांव विधानसभा सीट को वीवीआईपी दर्जा प्राप्त है। कभी यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा भी चुनाव लड़ कर जीत एवम हार चुके है। राजनांदगांव विधानसभा के बूते भारतीय जनता पार्टी के डॉ.रमन सिंह अपने राजनीतिक किस्मत के बूते तीन बार मुख्यमंत्री का ताज पहन चुके हैं, चौथी बार की स्थिति में भाजपा उन्हीं के नेतृत्व में लड़ी, औंधे मुंह गिरी, जिसका अंदाजा देश के दिग्गज राजनेताओं को भी शोध करने मजबूर कर रखा है, यही कारण है कि डॉ रमन सिंह तीन बार के मुख्यमंत्री रहे हुए अब शायद पुनः मुख्यमंत्री बनने की आस में जद्दोजहद करते नजर आ रहे है कि कहानी भारतीय जनता पार्टी को अगर प्रदेश में बहुमत मिला तो फिर से उन्हें मुख्यमंत्री का ताज पहनने का अवसर लगेगा। यह कड़वी सच्चाई है जिसकी आस में कई युवा दावेदारों के भविष्य को अंधेरे में धकेलते हुए डॉ रमन सिंह राजनांदगांव विधानसभा से भाजपा के उम्मीदवार आखिरकार बन गए और आज वह चुनाव मैदान में जीत और हार के संघर्ष में लगे हुए नजर आ रहे हैं। राजनांदगांव विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के युवा दावेदार और वरिष्ठ नेता भी टिकट की आस में रहे पर रमन सिंह के कद के सामने भाजपा के सारे नेता राजनीतिक कद के हिसाब से बौने हीं साबित हुए। डॉ रमन के लगातार चार बार चुनाव लडने से दो पीढ़ी के नेता को नहीं मिला मौका, जोकि अंदर ही अंदर आक्रोश के रूप मे भी दिख सकता है! मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का चेहरा माने जाने वाले राजनांदगांव विधानसभा में गिरीश देवांगन को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाकर राजनांदगांव विधानसभा की सीट की महत्ता को और बढ़ा दिया। कल तक कांग्रेसी एक दूसरे को पीठ दिखाने वाले आज गिरीश देवांगन के लिए कंधे से कंधा मिलाते नजर आ रहे हैं, यही एक कूटनीतिक कारण रहा होगा कि कांग्रेस की दावेदारों की अनेकता को देखते हुए आलाकमान ने गिरीश देवांगन को राजनांदगांव से सबसे तगड़ा उम्मीदवार माना है। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को इस बात से अवगत तो जरूर कर दिया गया होगा कि गिरीश देवांगन के पीछे भूपेश बघेल ही है। इतना समझना कांग्रेस के स्थानीय नेताओं और दावेदारों के लिए संजीवनी से कम नहीं जिस लिहाज से राजनांदगांव के कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश देवांगन को शुरुआती दौर में पीछे देखा जा रहा था वैसा परिदृश्य अब नजर नहीं आता। अब तो प्रचार में कांग्रेसियों की भीड़ और हुजूम होती है, जैसा परिदृश्य पुराने कांग्रेसियों के बताएं अनुसार इंदिरा कांग्रेस और राजीव कांग्रेस के समय हुआ करती थी। धीरे-धीरे ही सही गिरीश देवांगन धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं। गिरीश देवांगन को ठीक है स्थानीय नही मान रहे लोग, किंतु सीएम भूपेश बघेल के करीबी का फायदा मिल रहा, खास कर गांवों में, स्थानीय नेताओं को भी मनाने में कामयाब हो रहे गिरीश देवांगन , जिसका फायदा भी शहरी क्षेत्रों में कांग्रेस को मिलेगा। वहीं रमन को घेरे रहने वाले ब्लैक कमांडों से आम आदमी का मिलना मुश्किल भी वोटों के कम होने की वजह बन सकता है। डॉक्टर रमन सिंह के पुत्र पूर्व सांसद अभिषेक सिंह और ग्रामीण क्षेत्रों मे मधुसूदन के अलावा अन्य बड़े नेता जमीन पर नजर नहीं आ रहे है। राजनांदगांव के कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवारों को अगर कहीं नुकसान देगा वह अति आत्मविश्वास।