शैलेंद्र की जन्म शती पर कुछ प्रश्न!

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                   *दिवाकर मुक्तिबोध *                                       —————————————–           गीतकार शैलेन्द्र अंतिम दिनों में आर्थिक रूप से तबाह हो गए थे! तीसरी कसम फ्लॉप हो गई थी और वे कौड़ी कौड़ी के लिए मोहताज थे!

मानसिक दशा भी ठीक नहीं थी! लगभग विक्षिप्त हो गए थे वे! यही नहीं लगभग डेढ़ साल की मानसिक अवदशा के बाद केवल 43 साल की उम्र में अद्भुत गीतकार शैलेन्द्र दिवंगत हो गए!

क्या उन दिनों में मुंबई के अनेक उजले कपड़े वाले कभी उनकी खोज खबर लेने गए? इसी विपदा में उनको कविराज कहने वाले महान शो मैन भी उनसे अपना हिसाब किताब मांगते रहे!

क्या कभी इस पर बात होगी कि शैलेंद्र को मरने के लिए विमल रॉय कैंप के धुरंधरों ने क्यों छोड़ दिया!

क्या वे लोग एक गीतकार को आगे निर्माता के रूप में सफल नहीं होने देना चाहते थे और उनमें उजले वस्त्रों वाले गीतकार भी शामिल थे!

आज शैलेंद्र की मूर्ति लगाकर दुकान चलाने वाले लोगों को उनके करुण अवसान पर भी एक दो वाक्य बोलने चाहिएं!

और तो और शैलेंद्र के पांच बच्चो जिनमें तीन बेटियां और दो बेटे आपस में उनके घर “रिमझिम” के लिए पांच संसार हो गए हैं। एक महान गीतकार के बच्चो ने उससे यही सीखा! शैलेंद्र का बंगला “रिमझिम” मुकदमें का केंद्र है। प्यार का यह कैसा पैगाम है!

तो संसार के यथार्थ को समझ कर पूजकों से बचो बचाओ। ये लाश लेकर भाग जायेंगे और अपनी दुकान पर सजा देंगे! और गाते रहेंगे “फिर भी दिल है हिंदुस्तानी”!

बोधिसत्व