शांतिवार्ता के लिए चैकले मांदी की पहली बैठक मदनवाड़ा में हुई

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00 2 महीने में नक्सल प्रभावित 12 जिलों की करेंगे यात्रा
जगदलपुर। सामाजिक कार्यकर्ता शुभ्रांशु चौधरी ने बताया कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में शांतिवार्ता के लिए उन्होंने चैकले मांदी की शुरुआत की हैं, चैकले मांदी गोंडी बोली का शब्द है जिसका अर्थ सुख शांति के लिए बैठक है। सुख शांति के लिए 2 महीने की यात्रा पर निकले हुए हैं। इसका पहला पड़ाव मदनवाड़ा से इसकी शुरुआत हुई है। सुख शांति के लिए 15 सदस्यीय टीम गांव-गांव में जाकर आम नागरिकों, नक्सल हिंसा पीडि़त परिवार और जिन परिवार के सदस्य मुख्यधारा से भटक कर नक्सल संगठन में शामिल हो गए हैं, उनके परिजनों से मिल रहे हैं। प्रदेश में शांति के लिए लोग क्या चाहते हैं? इस बात की रिपोर्ट बनाई जाएगी।
शुभ्रांशु चौधरी ने बताया कि 2 महीने की यात्रा में छत्तीसगढ़, दिल्ली समेत अन्य जगह के सामाजिक कार्यकर्ता की 15 सदस्यीय टीम इसमें शामिल हैं। पूरे 8 सप्ताह तक सभी जंगल, गांवों में रहेंगे। नक्सल प्रभावित कुल 12 जिलों की यात्रा करेंगे। उन्होंने कहा कि, सरकार की तरफ से अब तक शांति के लिए किसी तरह से कोई वार्ता नहीं हुई है। बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों के लोग आखिर क्या चाह रहे हैं? क्या बस्तर में बम धमाकों की आवाज बंद होनी चाहिए? या फिर जैसा चल रहा है चलने दिया जाए। इस तरह के कुछ सवाल गांव वालों से पूछेंगे। गांवों में विकास नही होने से उन्हें परेशानी हो रही है या फिर वे इसी जिंदगी को पसंद कर रहे हैं। इसे भी जानेंगे।
शुभ्रांशु ने बताया कि नक्सली बस्तर में सिर्फ छिपने आए थे लेकिन उन्होंने यहां अपनी जड़ें मजबूत की। पिछले कुछ सालों में कई बड़े हमले किए गए। हमलों में दोनों तरफ के लोगों को नुकसान होता है। जो नक्सली मारे जाते हैं वे आदिवासी हैं और जो जवान शहीद होते हैं वे भी इसी देश के निवासी है। इसलिए ये लड़ाई बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि, नक्सलियों के 2 सिद्धांत होते हैं। एक रियर एरिया और दूसरा संयुक्त मोर्चा का सिद्धांत है। नक्सली अब संयुक्त मोर्चा सिद्धांत को अपनाते हैं। शुभ्रांशु ने कहा कि, उनकी टीम शांतिवार्ता के लिए प्रयास कर रही है। एक रिपोर्ट भी बनाएगी। यह पहला चरण होगा। यदि सरकार को हमारी रिपोर्ट की जरूरत होगी तो हम सरकार को भी देंगे। उन्होने कह कि बस्तर में शांति स्थापित करना ही हमारा मकसद है।