गुलाब, जरबेरा, रजनीगंधा के महकते उपवन का खुबसूरत मंजर मनोहारी
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*किसान गिरीश देवांगन को फूलों की खेती से लगभग 10 लाख रूपए की सालाना हो रही आमदनी*
*राजनांदगांव जिले के फूल जा रहे हैदराबाद, अमरावती, नागपुर, भुनेश्वर शहर*
राजनांदगांव । गुलाब, जरबेरा, रजनीगंधा के महकते उपवन का खुबसूरत मंजर मनोहारी है। किस्म-किस्म के रंग-बिरंगे सुंदर फूलों से गुलजार यह बाग डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम कोलिहापुरी के प्रगतिशील किसान श्री गिरीश देवांगन का है। फूलों की खेती से उनकी जिंदगी बदली है और उन्होंने उन्नति तथा समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाए है।
किसान श्री गिरीश देवांगन ने बताया कि उन्हें शासन की योजना के तहत राष्ट्रीय बागवानी मिशन अंतर्गत पॉली हाऊस निर्माण के लिए 16 लाख 88 हजार रूपए का अनुदान मिला है तथा संरक्षित खेती के लिए 14 लाख रूपए का अनुदान मिला है। उन्होंने अपने खेतों में शानदार शिरडी गुलाब की वेरायटी लगाई है। वहीं पॉली हाऊस में जरबेरा की वेरायटी अंकुर, सिल्वेस्टर, दून, दानाएलन, व्हाइट हाऊस एवं फोब्र्स लगाई है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत उन्हें शेडनेट हाऊस के लिए 7 लाख 10 हजार रूपए की अनुदान राशि मिली है। जहां उन्होंने ड्रिप एवं मल्चिंग विधि से गेंदा लगाया है। उन्होंने बताया कि शेडनेट पद्धति से खेती करने में पौधों को 50 प्रतिशत धूप मिलती है और उनके लिए यह अनुकूल होता है। उन्होंने अपने खेतों में व्यापक पैमाने पर रजनीगंधा के फूल लगाए हैं।
किसान श्री गिरीश देवांगन ने बताया कि उन्हें फूलों की खेती से लगभग 10 लाख रूपए की वार्षिक आमदनी हो रही है। प्रति फूल 2 रूपए के हिसाब से बिक्री हो रही है। फ्लावर डेकोरेशन के लिए इन फूलों की मार्केट में बहुत डिमांड है। यहां के फूल स्थानीय स्तर पर भेजने के साथ ही हैदराबाद, अमरावती, नागपुर, भुनेश्वर शहर भेज रहे हंै। उद्यानिकी विभाग से किसानों को मदद एवं तकनीकी मार्गदर्शन निरंतर मिल रहा है। कलेक्टर श्री डोमन सिंह के निर्देशन में जिले में उद्यानिकी विभाग द्वारा शासन की योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं। सहायक संचालक उद्यानिकी श्री राजेश शर्मा ने बताया कि शासन की शेडनेट योजना के बहुत फायदे हैं। जिले के लगभग 25 किसान अब तक इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं। खेती किसानी के लिए शेड नेट पद्धति बहुत कारगर है। इससे फसल कीड़े एवं बीमारी से सुरक्षित रहती है। लंबे समय तक फसल के लगे रहने से किसानों को दुगुना मुनाफा हो रहा है। ऐसी फसल जो गर्मी के मौसम में नहीं ले सकते उसके लिए यह पद्धति उपयोगी है। रबी एवं जायद की फसल के लिए बहुत अच्छी है।
वहीं बरसात में मौसम में थरहा सुरक्षित रहता है और नुकसान नहीं होगा। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत संरक्षित खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। जिसके अंतर्गत 710 प्रति वर्ग मीटर पर 355 वर्ग मीटर में अनुदान का प्रावधान है। किसान अधिकतम 4000 वर्गमीटर में शेडनेट लगा सकते हैं।