॥विचार॥

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जीवन नश्वर है, मिथ्या है, नाशवान है,
इस संसार से हमें कोई आशा नहीं है,
“ये महावाक्य”
हमें न तो हमें ज्ञानी बनने देंगे न ही प्रेमी।
क्योंकि,,,
ज्ञानी यह बोलता नहीं है,
प्रेमी यह मानता नही है,
बच्चे के जन्म में बधाई गाई जाती है,
“बिरहा”
नहीं गाये जाते हैं।


मैथिलीशरण