जीवन नश्वर है, मिथ्या है, नाशवान है, इस संसार से हमें कोई आशा नहीं है, “ये महावाक्य” हमें न तो हमें ज्ञानी बनने देंगे न ही प्रेमी। क्योंकि,,, ज्ञानी यह बोलता नहीं है, प्रेमी यह मानता नही है, बच्चे के जन्म में बधाई गाई जाती है, “बिरहा” नहीं गाये जाते हैं।