मंगल दोष नहीं बल्कि विशिष्ट गुण : डाॅ जोग

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*महाराष्ट्र मंडल में आयोजित मेडिकल कुंडली कार्यक्रम में हुआ शंकाओं का समाधान*

रायपुर। मंगल कोई दोष नहीं बल्कि विशिष्ट गुण है, जो व्यक्ति को अन्य लोगों से ऊपर लाकर रखता है. मांगलिक युवा ऊर्जावान, शीघ्र निर्णय लेने में दक्ष, बुद्धिमान और जिज्ञासु होते हैं. यही वजह है की मांगलिक लड़के या लड़की के लिए मांगलिक जोड़ीदार ही ढूंढा जाता है. शादी जमाने के लिए युवाओं की जन्म कुंडली या पत्रिका देखने के बजाय दोनों का एनर्जी लेवल देखा जाना चाहिए ताकि इनकी जोड़ी लंबे समय तक टिक सके।श्रमहाराष्ट्र मंडल में मेडिकल कुंडली कार्यक्रम में इंदौर से पधारीं डाॅ. शिल्पा जोग ने इस आशय के विचार व्यक्त किए।


उन्होंने कहा कि मांगलिक लड़की या लड़के के लिए मांगलिक युवा से ही विवाह जरूरी नहीं है, बल्कि पत्रिका के समावेशी ग्रह भी उसे मांगलिक युवा से विवाह करने के योग्य बनाते हैं। डॉ. शिल्पा ने कहा कि किसी ने दत्तक संतान गोद लिया है, तो ऐसे दत्तक की जन्मतिथि, स्थान और समय की वास्तविक जानकारी नहीं होती. ऐसे में उसका विवाह जोड़ने के लिए कुंडली- पत्रिका देखने की जरूरत नहीं होती।
उन्होंने कहा कि वास्तव में कोई भी माता—पिता अपनी कन्या का दान नहीं करते, बल्कि अपनी कन्या को वैवाहिक संस्कार के माध्यम से दूसरे (पति के) गोत्र में प्रवेश कराते हैं।
मंडल के सचिव आचार्य चेतन दंडवते ने लोगों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि पत्रिका में मंगल से व्यक्ति पर कोई असर नहीं होता। जन्म पत्रिका में मंगल का मतलब मंगल होता है और मंगल न सौम्य होता है न ही प्रबल. पत्रिका में मंगल को राशियां और ग्रह प्रबल या सौम्य बनातीं हैं।
आचार्य दंडवते ने कहा कि पत्रिका मिलाने के बजाय वर—वधू के स्वभाव का मिलान कराया जाना चाहिए. इसके अलावा जरूरी है कि वैवाहिक संस्कार से भावी पति- पत्नी के परिवार, रहन—सहन, संस्कार और स्वभाव को मिलाया जाए।
उन्होंने नाड़ी दोष को लेकर भी लोगों की शंकाओं का समाधान करते हुए कहा कि यह केवल उलझाने वाले विकार हैं, वास्तव में इन सबका जीवन पर खास प्रभाव नहीं पड़ता। आपस में विचारधारा का मिलना और परस्पर विश्वास होना ही जीवन की सफलता का मूलमंत्र है।